गुरुवार, जनवरी 20, 2011

हिंदी वालों पर उठने लगी हैं उंगलियां - उत्तरदायित्व से बचने का खेल

कार्यालयों में बिगड़ती हिंदी की स्थिति और राजनेताओं के अंग्रेज़ी मोह के कारण कार्यालयों में कार्यरत राजभाषा कार्मिकों के प्रति लोगों का रवैया बदलने लगा है। अब लोग अपनी नाकामी या उदासी को छिपाने के लिए राजभाषा वालों को ही दोष देने लग गए हैं। क्या यह सुनियोजित षडयंत्र की एक और नई शुरुआत है?

बुधवार, जनवरी 19, 2011

कानून का उल्लंघन कीजिए और ज़ुर्माना भर कर छूट जाइए


इधर पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ी है और प्रर्यावरण मंत्रालय भी सक्रिय हो गया है। अब जिन निर्माण कार्यों से पर्यावरण संरक्षण के नियमों का उल्लंघन होगा उन्हें अनुमति नहीं मिलेगी। परंतु अनुमति लेने की ज़रूरत ही क्या है? पर्यावरण संरक्षण के नियमों की अनदेखी करके निर्माण कार्य ज़ोरों ते शुरू करें और मंत्रालय या सरकारी एजेंसियों की नज़र पड़ने तक निर्माण कार्य जारी रखें और फिर नज़र पड़ भी जाए तो कुछ दिन तो और निकल ही जाएंगे क्योंकि राजनीतिक पार्टियों के समर्थक और विरोधी लोग भी तो सक्रिय होंगे। बाद में,  निर्माण कार्य में लगे धन और लोगों के जायज़ नाजायज़ हितों के मद्दे नज़र सरकार भी नरम पड़ेगी ही और अनियमित कार्य को नाम मात्र का ज़ुर्माना लेकर नियमित का प्रमाणपत्र जारी कर देगी। इसका ज्वलंत उदाहरण है अनिल अंबानी द्वारा हज़ारों करोड़ के किए गए घोटाले को 50 करोड़ का ज़ुर्माना लेकर नियमन।
2. अभी अखबारों में छपी खबरों से स्पष्ट होता है कि प्रर्यावरण मंत्रालय ने ज़ुर्माना लगाकर लवासा और आदर्श सोसायटी जैसे घोटालों को नियमित करने के संकेत दे दिए हैं। फिर तो रास्ता ही खुल जाएगा। कानून का उल्लंघन कीजिए और ज़ुर्माना भर कर छूट जाइए। मौत घर देख भी ले तो कोई परवाह नहीं। 
3. इसी प्रकार राजभाषा के नियमों का उल्लंघन करने पर तो ज़ुर्माने का भी डर नहीं है। धड़ल्ले से उल्लंघन कीजिए और शान से अंग्रेज़ी के भगवद् भजन में लगे रहिए।

रविवार, जनवरी 16, 2011

नो मोर हिंदी – कार्पोरेट जगत


कार्पोरेट जगत के मानिंद घराने, एक अंबानी समूह के मालिक अनिल अंबानी व्यवहार कुशल और बहुत ही समझदार व्यापारी माने जाते हैं। सफल भारतीय व्यापारी होने के साथ-साथ वे अच्छे वक्ता हैं, हिंदी फ़िल्मों की मशहूर अभिनेत्री उनकी पत्नी हैं। घर में माँ, पत्नी व नौकरों के साथ हिंदी में ही बात करते हैं परंतु केवल एक या दो प्रतिशत अंग्रेज़ी जानने वाले निवेशकों के साथ केवल अंग्रेज़ी में ही बात करते हैं क्योंकि शायद अंग्रेज़ी बोलकर उन्हें अंधेरे में रख सकते हैं। ये लोग देश के बारे में सीधे नहीं सोचते हैं बल्कि निवेशकों की बदौलत देश सेवा भी कर लेते हैं। उनकी नज़र में देश सेवा का मतलब अधिक से अधिक मुनाफ़ा कमाना ही है तभी तो विदेशी बाज़ार से पैसा उगाहकर शेयर बाज़ार में लगाकर देश के निवेशकों की आंख में धूल झोंकने की कोशिश की, अंगेरज़ी में। गुड गवर्नेंस से कोई मतलब नहीं जबकि गांधी जी ने कहा था कि देश के व्यापारी कंपनी के मालिक नहीं बल्कि समाज के ट्रस्टी हैं। वो तो भला हो सेबी का कि चोरी पकड़ ली और 50 करोड़ का हल्का ज़ुर्माना वसूलकर मामला रफ़ादफ़ा कर दिया। अब चोरी और न पकड़ी जाए इसलिए अपने द्वार बुलाई गए प्रेस सम्मेलन में ही मीडिया वालों से हिंदी में सवाल जवाब करने से ही मना कर दिया। वैसे तो हिंदी देश की राजभाषा है, अखिल विश्व स्तर पर भारत की भाषा है। परंतु कार्पोरेट जगत के दंभी, निवेशकों के पैसों से विमान खरीदने और ऐश करने वाले मालिकों को हिंदी से परहेज़ क्यों हैं जबकि अपने अधिक से अधिक विज्ञापन हिंदी में ही देते हैं क्योंकि अधिक से अधिक जनता हिंदी ही समझती है? इसे क्या कहेंगे, देश प्रेम या देश द्रोह?         

Locapour – स्थानीय पेय भोगी


Locapour शब्द Locavore शब्द की तर्ज़ पर बनाया गया शब्द है जो स्थानीय आधार पर निर्मित मदिरा और बीयर का ही सेवन करते हैं। यह शब्द कनाडा में उपयोग में लाया जा रहा है।

Locavore - स्थानीय उपज भोजी


अंग्रेज़ी भाषा में Localvore शब्द का उपयोग उन व्यक्तियों को सूचित करता है जो स्थानीय स्तर पर उत्पन्न किए गए फल और सब्ज़ियों को ही खाते हैं। वे लोग ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ़ मुहिम चलाने वाले स्वयंसेवी हैं। उनका मानना है कि दूर से आयातित फल और सब्ज़ियों को ताज़ा दिखाने के लिए उन पर रासायनिक पदार्थों या मोम के लेप का इस्तेमाल किया जाता है जो कि स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होते हैं। सन् 2007 में उन लोगों ने इसकी वर्तनी में थोड़ा परिवर्तन कर लिया और 'l'  वर्ण को निकालकर शब्द थोड़ा छोटा कर लिया। उनका तर्क है कि इससे शब्द को बोलने में आसानी होती है। आंदोलनकारियों की वजह से यह शब्द बहुत प्रचलित रहा और 2007 में इसे 'वर्ष का शब्द' की संज्ञा दी गई। इसे न्यू अमेरिकन ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी ने वर्ष के शब्द के रूप में प्रकाशित किया तथा डिक्शनरी में स्थान दिया। इसे हिंदी में एक शब्द से व्यक्त करने से भ्रम उत्पन्न हो सकता है अतः इसे 'स्थानीय उपज भोजी' कहा जा सकता है।

वर्ष का सबसे लोकप्रिय शब्द


ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी हर साल 'वर्ष का शब्द' प्रकाशित करती है। यह शब्द सालभर में प्रयुक्त होने व जनता से प्राप्त वोट के आधार पर चुना जाता है। उसके बाद उस शब्द को ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनरी में भी शामिल कर लिया जाता है। वर्ष 2010 का वह विजेता शब्द है 'app'। यह शब्द कंप्यूटर जगत में अप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर (application) शब्द के संक्षेप के लिए उपयोग में लाया जाता है। अप्लिकेशन (application) शब्द के हिंदी पर्याय के लिए 'अनुप्रयोग' शब्द को उपयोग में लाया जाता है। चूंकि हिंदी में संक्षेपण की प्रथा नहीं है इसलिए 'app'  शब्द के लिए 'अनुप्रयोग' शब्द को उपयोग में लाया जाना ही जारी रखना यथेष्ट रहेगा।
भारत में भी शब्दकोश बनाने वाली संस्था भी ऐसा करके किसा हिंदी शब्द को वर्ष का शब्द चुन सकती है।


क्या रुपए का नया प्रतीक क्षेत्रीयता का परिचायक है?