बुधवार, जनवरी 25, 2012

संविधान और राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन

जिस तरह अन्ना हज़ारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन शुरू किया है उसी प्रकार हिंदी सेवी संस्थाओं को केंद्र सरकार और जन प्रतिनिधयों के खिलाफ़ आंदोलन छेड़ना चाहिए। केंद्र सरकार जानबूझकर हिंदी को पीछे रखने के षडयंत्र में सक्रिय रूप से शामिल है और हिंदी को विकसित करने के लिए बनाई गई समितियों के माध्यम से दिखावा कर रही है। यह पूर्ण रूप से संविधान और राजभाषा अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है और इसका कहीं कोई विरोध नहीं किया जा रहा है।
संविधान के अनुच्छेद 351 मे निदेशी सिद्धांत नियत किया गया है जिसमें हिंदी के विकास की बात कही गई है। इसमें अंग्रेज़ी को विकसित करने का न तो कोई ज़िक्र है और न ही संविधान निर्माताओं की ऐसी कोई मंशा थी। इसमें इस बात का भी ज़िक्र नहीं है कि अंग्रेज़ी से शब्दों को उधार ले बल्कि इसकी मूल प्रकृति को छेड़े बिना और संविधान की आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारतीय भाषाओं के रूप, शैली और अभिव्यक्तियों को समाहित करते हुए हिंदी भाषा का विकास किया जाए।
अतः राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने असंवैधानिक तरीके से यह सिफ़ारिश की है कि अंग्रेज़ी की शिक्षा के लिए पहली कक्षा से पढ़ाई की योजना अमल में लाई जाए तथा हिंदी की शिक्षा का कोई ज़िक्र नहीं है। इस असंवैधानिक कार्रवाई के विरुद्ध तुरंत आंदोलन शुरू करने की आवश्यकता है। साथ ही राजभाषा विभागों से पूछा जाए कि वे क्या कर रहे? इस बारे में उन्होंने क्या कार्रवाई की है?

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