रविवार, फ़रवरी 20, 2011

सहभागिता निवेश पत्र (Participatory Note)


यह भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश करने के लिए एक प्रकार का लिखत (इन्स्ट्रुमेंट) है जिसका सहारा विदेशी निवेशक लेते हैं जोकि भारत में निवेश करने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास पंजीकृत नहीं होते हैं। इसे व्युत्पन्न लिखत कहा जाता है कि क्योंकि यह किसी न किसी लिखत पर आधारित होता है, जैसे, ईक्विटी शेयर। परंतु वे केवल किसी पंजीकृत निवेशक के माध्यम से निवेश कर सकते हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने 1992 में, विदेशी निवेश संस्थाओं को भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश करने के लिए पंजीकरण कराने की अनुमति दी थी। किसी निवेशक द्वारा 'सहभागिता निवेश पत्र'  में निवेश करने के लिए किसी पंजीकरण की पाबंदी नहीं है क्योंकि यह निवेश, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के पास पंजीकृत विदोशी संस्थागत निवेशक के माध्यम से ही किया जा सकता है। किसी अन्य निवेशक को निवेश करने की अनुमति नहीं है। 

            भारत में स्थित पंजीकृत दलाली फ़र्में भारतीय प्रतिभूतियाँ (सिक्यूरिटी) खरीद लेती हैं और बाद में उन प्रतिभूतियों के आधार पर विदेशी निवेशकों को 'सहभागिता निवेश पत्र'  जारी कर देती हैं और उन प्रतिभूतियों पर मिलने वाले लाभांश को विदेशियों को अंतरित कर देती हैं। इस सेवा के लिए वे निवेशकों से दलाली की रकम प्राप्त करती हैं। इन व्युत्पन्न लिखतों को भारत में नहीं खरीदा या बेचा जा सकता है बल्कि वे इनका उपयोग अपने देश में शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध शेयरों में निवेश करने के लिए कर सकते हैं। इसी लिए इसे ऑफ़शोर व्युत्पन्न लिखत भी कहा जाता है।

            इस  ऑफ़शोर व्युत्पन्न लिखत / व्युत्पन्न लिखत/ 'सहभागिता निवेश पत्र'  में निवेश करने वाले का नाम गुप्त रहता है। परंतु जिस निवेशक संस्था के माध्यम से निवेश किया जाता है उसके पास उसका अभिलेख (रिकार्ड) रहता है। चूँकि निवेशक का नाम गुप्त रहता है इसलिए उसके पास यह धन कहाँ से आया यह बताने से बचा जा सकता है। यह केवल एक कारण है। दूसरा, बड़ा कारण यह है कि अभिलेख रखने आदि के खर्च से बचने के भी इसका सहारा लिया जाता है।

1 टिप्पणी:

क्या रुपए का नया प्रतीक क्षेत्रीयता का परिचायक है?