गुरुवार, जनवरी 05, 2012

गुजरातियों को हिंदी नहीं आती

गुजरात के जूनागढ़ ज़िले में राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा बनाई जा रही सड़क के बारे में स्थानीय लोगों की ज़मीन अधिग्रहण में विवाद होने पर मामला अदालत गया और फिर गुजरात उच्च न्यायालय में गया जहाँ पर वादी पक्ष ने प्राधिकरण पर आरोप लगाया कि उसने परियोजना के बारे में अखबार में जो अधिसूचना छपवाई थी वह केवल अंग्रेज़ी और हिंदी में प्रकाशित की गई है जबकि गुजरात की वर्नाकुलर भाषा गुजराती है। जूनागढ़ के निवासियों को गुजराती समझ में आती है हिंदी नहीं। गुजरात उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम, 1956 की धारा 3A(3) के अनुसार जारी अधिसूचना अवैध घोषित की क्योंकि अधिसूचना गुजरात की वर्नाकुलर भाषा गुजराती में नहीं जारी की गई थी। इससे यह साबित होता है कि राज्य के लिए राज्य की भाषा का ही महत्व है। यदि न्यायालय ने हिंदी को महत्व नहीं दिया तो अंग्रेज़ी को भी महत्व नहीं दिया है। यह अच्छा लक्षण है। वैसे भी गुजरातियों को हिंदी भले ही समझ में आती हो परंतु निजी लाभ के लिए इसकी बलि तो दी ही जा सकती है।

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