शनिवार, नवंबर 27, 2010

भारत के सर्वोच्च न्यायालय में हिन्दी में लिखी हुई याचिका स्वीकार नहीं

'अदालत' नामक वेब साइट पर किसी बेनाम व्यक्ति ने लिखा है -
"यह घोर आश्चर्य का विषय है कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय हिन्दी में लिखी हुई न तो कोई याचिका ही स्वीकार करता है और न ही हिन्दी भाषा में कोई आदेश ही पारित करता है । केवल यही नहीं, अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत की गयी याचिका में भी अगर कोई संलग्नक भी हिन्दी भाषा का है तो यह याचिका भी सुनवाई के लिए तब तक जज महोदय के सामने प्रस्तुत नहीं की जाती जब तक कि उस हिन्दी के संलग्नक का सम्पूर्ण अनुवाद प्रमाणित रूप से शुद्ध अंग्रेजी भाषा में नहीं करवा लिया जाता । इस प्रक्रिया के अन्तर्गत याचिका हफ्‌तों से लेकर महीनों तक लटकी पडी रह जाती है । हिन्दी से अंग्रेजी अनुवाद के लिए कुछ फीस अलग से भी देनी होती है । हालांकि यह फीस अधिक नहीं होती लेकिन आश्चर्य यह सोचकर होता है कि क्या भारत के सर्वोच्च न्यायालय के जजों को हिन्दी नहीं आती है अथवा यह भाषा उन्हें किसी दूसरे संसार की लगती है । कौन सा ऐसा देश संसार में है जहां के न्यायालय अपने देश की भाषा को अस्वीकार करके किसी विदेषी भाषा में लिखी गयी याचिका ही स्वीकारते हों ? वर्तमान में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में कुल 30 जजों में 26 हिन्दी भाषी जज हैं । केवल 4 जज ऐसे हैं जो दक्षिण भारतीय हैं ; इनके नाम सर्वश्री के.जी बालाकृष्णन (मुख्य न्यायाधीश), आर. रविन्द्रन, बी. सुदर्शन रेड्डी और पी. सदाशिवम्‌ हैं, और यह माना जा सकता है कि उन्हें हिन्दी भाषा का ज्ञान नहीं है । लेकिन जब 26 जज हिन्दी भाषी हों तो हिन्दी में लिखी गयी याचिका क्यों नहीं स्वीकार की जा सकती ? यह सभी 26 जज बचपन से लेकर सर्वोच्च न्यायालय की कुर्सी तक पहुंचने में निश्चय ही हिन्दी में ही काम करते रहे होंगें, तो आज वे हिन्दी की याचिका क्यों नहीं पढ. सकते ? अगर याचिका किसी दूसरी राज्य भाषा में हो तो वे अस्वीकार की जा सकती है, परन्तु राष्ट्र भाषा में लिखी गयी याचिका स्वीकार न हो तो इससे अधिक दुर्भाग्य भारत राष्ट्र के लिए हो ही नहीं सकता । भारतवर्ष को अंग्रेजों की दासता से मुक्त हुए 60 वर्ष से अधिक का समय व्यतीत हो चुका है फिर भी किसी राष्ट्रपति ने, किसी प्रधानमंत्री ने, किसी कानून मंत्री ने इस बात पर आपत्ति क्यों नहीं की कि भारत का सर्वोच्च न्यायालय देश की सर्वोच्च भाषा हिन्दी को सहर्ष स्वीकार करे ! प्रान्तीय भाषाओं में लिखी गयी याचिकाओं को समझने और निर्णय देने में दिक्कत हो सकती है, यह बात तो मानी जा सकती है, लेकिन राष्ट्र भाषा हिन्दी में प्रस्तुत याचिका स्वीकार न की जाय यह बात किसी भी राष्ट्र प्रेमी के लिए स्वीकार करना संभव नहीं है। आज अगर देश के सभी सांसद मिल करके हिन्दी भाषा के समर्थन में आवाज उठायें तो निश्चय ही सर्वोच्च न्यायालय हिन्दी की याचिकाएं स्वीकार करने में सहमत हो सकता है । इस राष्ट्रीय धर्म के परिपालन में किसी भी सांसद को पीछे नहीं रहना चाहिए।"
इस बारे में सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय कुछ नहीं कर सकते अथवा नहीं करेंगे क्योंकि हमारा संविधान ऐसा करने से रोकता है। भारत सरकार भी इस मामले में एकदम उदासीन है अथवा कुछ न करने के लिए वचनबद्ध है। ऐसी वचनबद्धता जिसका डर दिखाकर असहायता प्रकट की जाती है। जब तक जनता खुद मैदान में नहीं उतर जाती। क्या यह संभव है? कब संभव होगा? सरकारी कार्यालय और सरकार की सबसे बड़ा सलाहकार विभाग- राजभाषा विभाग तो कुछ नहीं कर पाएगा क्योंकि उनके पास तो कोई आंकड़ा ही नहीं है कि कितने कर्मचारियों को हिंदी आती है? देश में कितने राज्यों ने त्रिभाषा सूत्र लागू किया है? क्या हमारी संसद जिसके सदस्य जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं और संसद में ली गई शपथ का निर्वाह करते हैं तथा 1968 में दोनों सदनों के समक्ष पारित संकल्प का सम्मान करते हैं, अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास करते हुए पुनः संसद में संकल्प पारित करके अनंतकाल तक अंग्रेज़ी को चलने से रोकने की कार्रवाई शीघ्र करेगी?  

साइबर अपराध और निवारक उपाय


ई-, साइबर- और वर्चुअल शब्दों का प्रयोग पहले से प्रचलन में आ रहे उत्पादों या सेवाओं या अवधारणाओं के कंप्यूटरीकरण या कंप्यूटर से संबंधित नामकरण के साथ उपसर्ग के रूप में प्रयोग करने के किया जा रहा है, जैसे, हम काग़ज़ पर पत्र लिखते थे और अब कंप्यूटर और इंटरनेट की सहायता से ई-मेल भेज रहे हैं। इसी प्रकार ई-कॉमर्स, ई-गवर्नेंस, ई-रिटर्न, ई-टिकट, साइबर कफ़े, साइबर वार, वर्चुअल कीबोर्ड, वर्चुअल क्लासरूम आदि। अतः ये तीनों शब्द एक तरह से इलेक्ट्रॉनिक के पर्याय के रूप में इस्तेमाल किए जा रहे हैं। इसी संदर्भ में साइबर शब्द को क्राइम (अपराध) से जोड़ दिया गया है जो इस बात का द्योतक है कि कोई अपराध किया गया हो जिसमें किसी न किसी रूप में कंप्यूटर का उपयोग किया गया हो, जैसे, इलेक्ट्रोनिक रूप में नग्नता, इलेक्ट्रोनिक रूप में बच्चों का यौन शोषण, धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर दो संप्रदायों में दुश्मनी पैदा करना (ऑन लाइन हेट कम्युनिटी), ईमेल खाते की हैकिंग, महिला के शील को भंग करने के विचार से ग़लत नाम से ईमेल, क्रेडिट कार्ड फ़्रॉड, ऑन लाइन शेयर ट्रेडिंग फ़्रॉड, कर की चोरी और धन शोधन (मनी लांड्रिंग), कॉपी राइट का उल्लंघन (कंप्यूटर सोर्सकोड की चोरी), सॉफ़्टवेयर की चोर बाज़ारी, संगीत या फ़िल्म की सी.डी. की चोर बाज़ारी, ईमेल घोटाला, फ़िशिंग, नॉरकोटिक ड्रग्स ऐंड साइकोट्रॉफ़िक सब्सटैंसेज़, वन्य प्राणियों या उनसे संबंधित वस्तुओं की ऑन लाइन विक्री, देश की सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने के विचार से आतंकवादियों द्वारा नेटवर्क का उपयोग व कंप्यूटर के हार्डवेयर का उपयोग, वाइरस हमला, वेबसाइट को विकृत करना आदि।

राजभाषा विकास परिषद द्वारा 'साइबर अपराध और निवारक उपाय' विषय पर तीन दिवसीय (22-24 नवंबर) कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें कंप्यूटर व विधि विशेषज्ञों तथा महाराष्ट्र पुलिस के साइबर सेल के अधिकारी द्वारा विस्तार पूर्वक बताया गया कि साइबर अपराध से बचने के लिए क्या उपाय किए जाएं और अगर अपराध घटित हो जाए तो किस प्रकार की कार्रवाई की जाए।

वास्तव में यह पोस्ट लिखने का उद्देश्य यह है कि मेरे साथ, इस कार्यक्रम की शुरुआत से तीन दिन पहले (19 नवंबर) को, मेरे एक मित्र के नाम से ई-मेल आया। मेल को हू-ब-हू पेस्ट कर रहा हूं-
Dear,
After all my stress, finally I'm glad to get in touch with you.
I'm so sorry that you were not informed about my trip to Spain for conference, I need your help ugently as soon as you recieved my message, because It has been a very sad and bad moment for me here, the present condition that I found myself is very hard for me to explain as I mistakenly misplaced my wallet in a cab, which contain relevant document of my transport with my money and phone, and I'm sending this message to you because I'm in financial crisis at the moment,  I need the sum of €1,500Euro  to sort-out all my bills here and to get myself back home as soon as possible, pls I will appreciate all your effort to make this loan possible for me, because my hope rely on you as I know you can do it,  when I get back home I'll refund you , pls let me know how much you can afford to help me and i'll send you the details to make transfer.

Please I need your quick response because I'm having limited access to the internet.
--
Dr. H. S. Rana
Principal Director
Institute of Public Administration
Bangalore - 560 001

मेल मिलते ही मैंने अपने मित्र डॉ. राना को फ़ोन लगाया कि आपके मेल खाते से यह मेल मिला है। क्या सचमुच आप स्पेन में हैं क्योंकि उससे दो दिन पहले ही डॉ. राना से बात हुई थी तो स्पेन जाने के किसी कार्यक्रम के बारे में कोई ज़िक्र नहीं किया था। पहले डॉ. राना का फ़ोन नहीं लगा तो अपने एक दूसरे मित्र जो डॉ. राना के भी मित्र हैं उन्हें फ़ोन लगाया और मेल का ज़िक्र किया तो उन्होंने भी बताया कि डॉ. राना ने विदेश जाने का कोई ज़िक्र नहीं किया था। इस बीच डॉ. राना से बात हो गई तो उन्होंने बताया कि मेरा मेल खाता हैक हो गया था और उससे मेरे सभी परिचितों को मेल भेज दिया गया है। अतः उन्होंने जीमेल के सेवा प्रदाता से संपर्क करके मेल खाते को पुनः प्राप्त किया और पासवर्ड बदला।

अतः साइबर अपराध से सुरक्षा के लिए अपने पासवर्ड को किसी से ज़ाहिर न करें और यदि किसी साइबर कफ़े से अपना मेल खाता परिचालित करें तो विशेष सावधानी बरतें, बैंक का लेन देन साइबर कफ़े से न करें, किसी अंजान विंडो को न खोलें, उसे क्रॉस पर क्लिक करके बंद कर दें, कंप्यूटर पर से उठने से पहले कंप्यूटर को री-स्टार्ट कर दें। बात लंबी है जिसको यहां पूरा नहीं कहा जा सकता है। अतः इतना ही।

 

क्या रुपए का नया प्रतीक क्षेत्रीयता का परिचायक है?