मंगलवार, फ़रवरी 23, 2010

हिंदी कार्यान्‍वयन के लिए समितियां

1. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय हिंदी समिति वर्ष 1967 में गठित हुई. यह शीर्ष समिति है जो संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी के प्रगामी प्रयोग के लिए दिशानिदेश नीति निर्धारित करती है। 

2. राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 4(4) के तहत गृह मंत्री की अध्‍यक्षता में राजभाषा संसदीय समिति का गठन 1976 में किया गया था। उसके बाद हर लोक सभा के आम चुनाव के बाद इस समिति का पुनर्गठन किया जाता है। इसमें 20 लोक सभा के सांसद होते हैं तथा 10 राज्‍य सभा के। इसकी अलग अलग उप समितियां होती हैं जिसका उपाध्‍यक्ष उप समिति के सदस्‍यों में से वरिष्‍ठतम सदस्‍य होता है। यह समिति विभिन्‍न कार्यालयों में जाती है और निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट राष्‍ट्रपति को सौंपती है। राष्‍ट्रपति उसे सदन के पटल पर रखवाते हैं और उसपर अपनी सहमति देकर सभी विभागों/मंत्रालयों में भेजवाते हैं।

3. सभी मंत्रालयों में, प्रभारी मंत्री की अध्‍यक्षता में हिंदी सलाहकार समितियों का गठत किया गया है। इन समितियों की बैठकों में,समय समय पर अपने संबंधित मंत्रालयों में हिंदी के प्रयोग की प्रगति की समीक्षा करती है। विभागों और कार्यालयों / उपक्रमों में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए और उपायों का सुझाव देती है।

4. केंद्रीय राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति का गठन सभी कार्यालयों / वि‍भागों में किया गया है। इसका अध्‍यक्ष कैबिनेट सचिव(राजभाषा) होता है।

5. हर विभाग में राजभाषा कार्यान्‍वयन समिति गठित की गई है जिसका अध्‍यक्ष वि‍भाग का संयुक्‍त सचिव होता है। विभाग में हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रगति की समीक्षा करती है और समयबद्ध कार्यक्रमों के अनुसार नियत लक्ष्‍यों की प्राप्ति के उपायों का सुझाव देती है।

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