भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आई.आई.टी.) में इंजीनियरी की पढ़ाई करने के लिए प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की प्रवेश परीक्षा में अंग्रेज़ी को ही माध्यम रखने के बारे में संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में मानव संसाधन मंत्रालय के मंत्री श्री कपिल सिब्बल ने जिनके अंतर्गत उच्च शिक्षा भी आती है, ने जबाव दिया कि ये संस्थाएं स्वायत्त हैं इसलिए परीक्षा के माध्यम के बारे में निर्णय करने के लिए स्वतंत्र हैं। मंत्री जी ने सही कहा कि ये संस्थाएं स्वायत्त हैं।
श्री कपिल सिब्बल जाने-माने कानून विद् भी हैं। अतः अन्हें कानूनी दांवपेंच तथा नियम और कानून की बेहतर समझ होगी ऐसा माना जा सकता है। विधि शब्दकोश के अर्थ के अनुसार स्वायत्त का अर्थ है स्व-शासित, स्वतंत्र, केवल अपनी ही विधि के अधीन कार्य करने का अधिकार। क्या इस अधिकार में भारत के संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का हनन भी शामिल है? हिंदी माध्यम या अन्य भाषाओं के माध्यम से 12वीं पास करने वाले विद्यार्थियों के अधिकारों का हनन करने अधिकार है? क्या आई.आई.टी. परिसरों में घटने वाले अपराधों पर इन संस्थाओं अपनी मर्ज़ी से कार्रवाई करने का अधिकार है? क्या सी.पी.सी., सीआर. पी.सी, आई.पी.सी. आदि के अंतर्गत किए गए कानूनी प्रावधनों को न मानने की आज़ादी है? नहीं। फिर राजभाषा अधिनियम के प्रवधानों को न मानने की छूट कैसे मिल जाती है? स्वायत्त संस्था का मतलब होता है अपने दैनिक कार्य व्यापार में बाहरी हस्तक्षेप से स्वतंत्रता ताकि संस्था को सुचारु और तीव्र गति से चलाने में बाधा न आए।
भारतीय रिज़र्व बैंक और ऐसी ही अनेक शीर्ष संस्थाएं हैं जो किसी अधिनियम के अंतर्गत गठित की गई स्वायत्त हैं। फिर भी इन संस्थाओं पर राजभाषा अधिनियम और भारत सरकार की नीतियाँ लागू होती हैं तथा वे सहर्ष इनका पालन करती हैं। अतः स्वायत्ता या निजी कंपनी के नाम पर देश की राजभाषा से संबंधित नीतियों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। श्री देवव्रत चतुर्वेदी राजभाषा संसदीय समिति के उपाध्यक्ष हैं और उन्होंने इस बात को बहुत ही सही ढंग से उठाया। वे इसके लिए बधाई के हकदार हैं। राजभाषा के मामले में सतत जागरूक रहने की ज़रूरत है। अंग्रेज़ीदां और इसके समर्थक सदैव अंग्रेज़ी का वर्चस्व कायम रखने में लगे रहते हैं।
राजभाषा विकास परिषद उनकी प्रशंसा करती है और धन्यवाद ज्ञापित करती है।