मंगलवार, मार्च 16, 2010

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस और सेक्सुअल हैरेसमेंट कार्यक्रम

यद्यपि संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1946 में 'महिलाओं के अधिकार' विषय पर विचार किया था और 'कॉमिशन ऑन स्‍टेटस ऑफ़ वीमेन' गठित किया था परंतु बहुत वर्षों तक इस पर गंभीरता से कार्रवाई नज़र नहीं आती है। लेकिन ह्यूमन राइट को विश्‍व के अनेक देशों में महत्‍वपूर्ण माना गया और इस पर गंभीरता से अमल जारी रखा। विशेष और गंभीर प्रयासों की शुरुआत 1975के बाद देखने में आती है। संय़ुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 को अंतरराष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया और 1975 (मैक्सिको), 1980कोपेनहेगेन), 1985 (नैरोबी) तथा 1995 (बीजिंग) में सम्‍मेलन आयोजित किए। इसमें लिंग के आधार पर भेदभाव समाप्‍त करने तथा महिलाओं के सशक्तीकरण के मामले पर वचनबद्धता को पूरा करने का संकल्‍प लिया गया था। भारत में भी महिलाओं के अधिकार और उनके प्रति होने वाले अनैतिक व्‍यवहारों से निपटने के लिए कई कानून बनाए गए परंतु महिलाओं के कार्यस्‍थल पर यौन उत्‍पीड़न के नि‍वारण के लिए अलग से अधिनियम अथवा कानूनी प्रावधान नहीं बनाए गए ।

2. वर्षों से इससे संबंधित अपराधों को भारतीय दंड संहिता (इंडियन पीनल कोड) के अंतर्गत किए गए प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई होती रही है। परंतु इस बारे में अलग से व्‍यवस्‍था की आवश्‍यकता और मामले की गंभीरत को महसूस करके उच्‍चतम न्‍यायालय ने 1997 में पहली बार 'वि‍शाखा और अन्‍य बनाम राजस्‍थान सरकार' मामले में कुछ मार्गदर्शी सिद्धांत सुझाए और सरकार को निदेश दिया कि जब तक कि भारत के संसद द्वारा इस बारे में कोई उपयुक्‍त कानून नहीं बनाया जाता तब तक उच्‍चतम न्‍यायालय के इस मार्गदर्शी सिद्धांत को, संवि‍धान के अनुच्‍छेद 141 के अनुसार कानून माना जाए और किसी भी कार्यस्‍थल पर चाहे वह सरकरी या निजी हो, इसका अनुसरण किया जाए।

3. भारत सरकार ने 'सेक्‍सुअल हैरसमेंट ऑफ़ वीमेन ऐट वर्क प्‍लेस (प्रिवेंशन, प्रॉहिविशन ऐंड रिड्रेसल, 2006) नामक वि‍धेयक तैयार किया था। उस बिल में पुनः संशोधन किया गया और उसे ''दि प्रोटेक्‍शन ऑफ़ वीमेन अगेंस्‍ट सेक्‍सुअल हैरसमेंट ऐट वर्क प्‍लेस बिल, 2007'' नाम से वेबसाइट के पब्लिक डोमेन में रखा और अनुरोध किया कि इसमें सुझाव दिया जाए। चूंकि वह बिल अभी भी संसद द्वारा पारित करने के लिए संसद के समक्ष लंबित है और इस बीच मीडिया में, हरि‍याण के भूतपूर्व डी. जी. पी. का मामला बहुत उछाला गया इसलिए सरकार ने इसमें कुछ और संशोधन करने के विचार से पुनः विचार आमंत्रित किया है तथा इस वर्ष इसे पास करने का मन बना लिया है। पहले वाले विधेयक में छह अध्‍याय, 40धाराएं और तीन अनुसूचियां थीं। परंतु नवीनतम वि‍धेयक में पांच अध्‍याय, 22 धाराएं और एक अनुसूची है जिसमें विभिन्‍न कार्यस्‍थलों का विवरण दिया गया है। यह व्‍यापक व सरल भाषा में बनाया गया विधेयक है जो पास होने पर उपयोगी सिद्ध्‍ा होगा।

4. राजभाषा विकास परिषद ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस - 8 मार्च को, 'सेक्‍सुअल हैरसमेंट ऑफ़ वीमेन ऐट वर्क प्‍लेस' विषय के विवधि पहलुओं पर चर्चा करने के लिए दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत की और इसके विभिन्‍न पहलुओं पर कानून विदों के साथ व्‍यापक चर्चा की। इन विषयों पर चर्चा करने के लिए कानून के जानकार, शिक्षण और न्‍यायालयों में कानून की प्रैक्टिस करने वाले न्‍याय विदों को आमंत्रित किया गया था।

5. ''दि प्रोटेक्‍शन ऑफ़ वीमेन अगेंस्‍ट सेक्‍सुअल हैरसमेंट ऐट वर्क प्‍लेस बिल, 2007'' में सेक्‍सुअल हैरसमेंट की वही परिभाषा शामिल कर ली गई है जोकि सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा के मामले में दी। इस विधेयक में पुरुषों के बारे में ध्‍यान नहीं रखा गया। अतः इस पर व्‍यापक चर्चा की आवश्‍यकता है।

रविवार, मार्च 14, 2010

हिंदी में प्रशिक्षण - आम मानसिकता

आमतौर पर, प्रशिक्षण कार्यक्रम मुख्य धारा के कार्यों को अंजाम देने के लिए आयोजित किए जाते हैं जिनमें हिंदी का नामोनिशान नहीं होता है। परंतु भारत सरकार की ओर से निरंतर दबाव रहता है कि कार्यालयी कार्यों में हिंदी के प्रयोग के लिए समयबद्ध तरीके से नियत लक्ष्य प्राप्त किया जाए। इसी सिलसिले संसदीय राजभाषा समिति ने अपना आठवां प्रतिवेदन प्रस्‍तुत किया है जिसमें ‍ सिफ़ारि‍श की है कि सभी कंप्यूटर प्रणालियाँ द्विभाषिक हों और उनके माध्यम से यूनीकोड आधारित हिंदी में काम करने का प्रशिक्षण भी दिया जाए।

2. सभी संगठन/संस्थाएँ अपने हिसाब से कंप्‍यूटर द्वारा हिंदी में काम करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था कर रही हैं और अपने राजभाषा अधिकारी को, यूनीकोड को सिस्टम में सक्रिय करने का एक दो सत्रों का प्रशिक्षण देकर अपने दायित्‍व की इतिश्री मान लेती हैं। मुख्‍य धारा के स्‍टाफ़ सदस्‍यों को कंप्‍यूटर का सामान्‍य (जनरल) प्रशिक्षण दिलाया जाता है जिसमें हिंदी का प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है। वह प्रशिक्षण कंप्‍यूटर की किसी बाहरी एजेंसी के माध्यम दिलाया जाता है जिनके पास जेनरल (सामान्‍य) किस्म का पाठ्यक्रम होता है जिसके माध्यम से सभी को प्रशिक्षित किया जाता है। संगठनों की कार्यप्रणाली के अनुसार प्रशिक्षण नहीं दिया जाता है जिसकी वजह से जब प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण के उपरांत अपने कार्यस्‍थल पर वापस जाता है तो उसके द्वारा सीखी गई बातों का उपयोग नहीं हो पाता है। अत: प्रशिक्षण पर लगाए गए समय व धन का वांछित प्रतिलाभ नहीं मिलता है। प्रशिक्षण का उद्देश्य स्टाफ़ सदस्यों को ऐसा कंप्‍यूटर कॉम्‍पीटेंट बनाना होना चाहिए जो यूनीकोड आधारित हिंदी माध्‍यम से दक्षतापूर्वक सारा काम कंप्‍यूटर द्वारा हिंदी में करने में सक्षम हों।

3. राजभाषा विकास परिषद (परिषद) द्वारा यह पाठ्यक्रम कार्यालय के समस्‍त दैनिक कार्यों में कंप्यूटर की अधिकाधिक सहायता लेने के लिए सहभागी को सक्षम बनाने हेतु बनाया गया है और सर्वाधिक समय कंप्‍यूटर पर काम करने के लिए दिया गया है। पाठ्य सामग्री इसी बात को ध्यान में रखकर तैयार की गई है। इसे मैनुअल के रूप में उपयोग में लाया जाए। इसमें शब्द संसाधन, अंक संसाधन, पावर प्‍वाइंट, आँकड़ा संसाधन तथा नेटवर्किंग के अलावा कार्यालय के अन्‍य कार्यों से संबंधित जानकारी देने वाली समाग्री का शुमार किया गया है। कार्यालयी पत्र व्यवहार, पतों का डाटाबेस रखना, उनके आधार पर पूरी परिशुद्धता के साथ अनेक पत्र थोड़े से समय में ही तैयार करना, अपने डेस्क के काम का डाटाबेस तैयार करना, अनेक प्रकार से छवि का संसाधन, उनके उपयोग द्वारा अपने टेक्‍स्‍ट को आकर्षक और प्रभावोत्‍पादक बनाना, प्रकाशन तैयार करना और संचित जानकारी की शीघ्रता से प्राप्ति और उसके आधार पर निर्णय लेने में सहूलियत आदि के लिए दिशा निदेश देने वाली सामग्री का शुमार है। इस कार्यक्रम से प्रशिक्षणोपरांत वापस जाने पर इसका उपयोग करके प्रशिक्षणार्थी अपना काम समस्‍त काम हिंदी में, समय पर, चुस्ती तथा परिशुद्धता से कर सकेंगे।

4. राजभाषा विकास परिषद गैर सरकारी स्वैच्छिक संस्था है जिसकी स्थापना एक विशेष उद्देश्य से की गई है। इसने ऐसा विशेषीकृत कंप्‍यूटर लैब बनाया है जिसमें हिंदी में काम करने के संबंध में सॉफ़्टवेयर उपलब्‍ध हैं। इस प्रशिक्षण में दो नए उपकरण - श्रुतलेखन सॉफ़्टवेयर व मशीन ट्रांस्‍लेशन सॉफ़्टवेयर शामिल किए गए हैं जिनकी सहायता से हिंदी में काम करना सुकर होगा। अभी तक किसी संस्था ने ऐसा विशेषीकृत लैब बनाना व्यवहार्य नहीं पाया है। परिषद के उद्देश्‍य इस प्रकार हैं-

1. हिंदी के प्रयोग से संबंधित किसी भी प्रकार का और किसी भी माध्यम से ज्ञान का विस्तार करना या प्रशिक्षण देना,

2. हिंदी के विकास के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और बुद्धिवादी कार्यकलापों का संवर्द्धन,

3. हिंदीं के प्रयोग में सहायक किसी भी प्रकार के साहित्य का सृजन, चाहे वह मौलिक लेखन द्वारा हो, अनुवाद द्वारा हो अथवा संकलन संपादन द्वारा हो,

4. परिषद के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक या सामान्यतया उसमें सहायक कोई गतिविधि शुरू करना।

5. राजभाषा के विकास के लिए कोई संस्‍था स्‍थापित करना।

5. लैब में उपर्युक्त सॉफ़्टवेयरों, वाई फ़ाई नेटवर्किंग तथा इंटरनेट से युक्त आधुनिकतम कंप्यूटर हैं तथा विशेषज्ञ संकाय की व्यवस्था है। इन सुविधाओं का उपयोग करके, बैंक व अन्य संगठन अपने मुख्य धारा के स्टाफ़ सदस्यों तथा राजभाषा अधिकारियों को प्रशिक्षित कराने व राजभाषा के कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कम खर्च पर प्रशिक्षण दिला सकते हैं। संगत जानकारी व संपर्क के लिए परिषद की वेबसाइट देखी जाए। वेबसाइट का पता : http://www.rvparishad.org

क्या रुपए का नया प्रतीक क्षेत्रीयता का परिचायक है?