शुक्रवार, जनवरी 17, 2014

देश की राजभाषा – कब तक इंतज़ार


देश की राजभाषा की स्थिति आज भी उतनी ही निरीह हालत में है जितनी कि 65 साल पहले थी। कारण यह है कि राजनीतिज्ञ और ब्यूरोक्रेट दोनों मिलकर सुनियोजित ढंग से हिंदी को पीछे रखने और अंग्रेज़ी को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। नवीनतम उदाहरण है राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफ़ारिशें जिनके आधार पर अंग्रेज़ी का स्तर सुधारने के लिए पहली कक्षा से अंग्रेज़ी की पढ़ाई कराने का आदेश जारी कियाया है।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का गठन

इस आयोग के अध्यक्ष सैम पित्रोदा थे। इसके सदस्य थे, डॉ. अशोक गांगुली, रिज़र्व बैंक के बोर्ड में निदेशक और कई प्राइवेट कंपनियों के बोर्डों में सदस्य हैं, डॉ. जयति घोष, जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं, डॉ. दीपक नैयर, जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर हैं, डॉ. पी. बलराम, भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर के निदेशक हैं, डॉ. नंदन निलेकनी, कंप्यूटर विज्ञानी हैं, डॉ. शुजाता रामदोई, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ फ़ंडामेंटल रिसर्च में गणित के प्रोऱेसर हैं, डॉ. अमिताभ मट्टू, जम्मू विश्व विद्यालय के उप कुलपति हैं। राष्ट्रीय ज्ञान आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट 2009 में प्रस्तुत कर दी है और उसके कार्यान्वयन का काम शुरू हो गया है।
राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का उद्देश्य ज्ञान के क्षेत्र में देश को 21 वीं शताब्दी में सबसे आगे ले जाने के लिए शिक्षा और अनुसंधान हेतु आधारभूत और मज़बूत ढांचा तैयार करना है। आयोग ने अपनी सिफ़रिश में कहा है कि देश में अंग्रेज़ी की पढ़ाई पहली कक्षा से शुरू की जाए और दो भाषाएं, अर्थात, अंग्रेज़ी तथा क्षेत्रीय भाषा पढ़ाई जाए। आयोग ने हिंदी की सिफ़ारिश नहीं की है और न ही त्रिभाषा सूत्र को लागू करने View blogकी बात की है। प्रधान मंत्री ने भी इसे स्वीकार कर ली है और राष्ट्रीय ज्ञान आयोग की सिफ़रिशों को लागू कराने की प्रक्रिया शुरू करा दी है। 
"राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का मानना है कि अब समय आ गया है कि हम देश के लोगों, आम लोगों को स्कूलों में भाषा के रूप में अंग्रेज़ी पढ़ाएँ। इसलिए एक केंद्र प्रायोजित योजना चलाई जानी चाहिए, जो अंग्रेज़ी भाषा सिखाने के लिए ज़रूरी शिक्षकों और सामग्री के विकास के लिए वित्तीय सहायता दे सके। राज्य सरकारों को इस योजना पर अमल के काम में बराबर की साझीदारी करनी होगी। अतः राष्ट्रीय ज्ञान आयोग का सुझाव है कि प्रधानमंत्री राष्ट्रीय विकास परिषद की अगली बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों के साथ इस मामले पर चर्चा करें और अंग्रेज़ी को पहली कक्षा से क्षेत्रीय भाषा के अलावा एक दूसरी भाषा के रूप में सिखाने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार करें। इससे यह तय हो सकेगा कि स्कूल में बारह वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद हर विद्यार्थी कम-से-कम दो भाषाओं में प्रवीण हो जाएगा।"

राष्ट्रीय ज्ञान आयोग प्रधान मंत्री द्वारा गठित उच्च स्तरीय आयोग था जिसमें शामिल लोगों में से कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो संविधान के अनुच्छेद 351 के बारे में जानकारी देते हुए बता सके कि हमें हिंदी के विकास के लिए काम करना है और अंग्रेज़ी को शीघ्रातिशीघ्र विदा करना है न कि अंग्रेज़ी की जड़ मज़बूत करना है। जिसको विदेशों में नौकरी करना है या विदेश सेवा में जाना है वह तो अंग्रेज़ी पढ़ेगा ही और अच्छी तरह पढ़ेगा। अतः बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना क्यों बन रहा है। किसी ने भी हमारी राजभाषा हिंदी के बारे में भी चिंता नहीं जताई और न ही प्रयास किया कि देश में त्रिभाषा सूत्र लागू कराकर कश्मीर से कन्याकुमारी तथा गुजरात से पूर्वोत्तर राज्यों को एक देश मानकर राजभाषा हिंदी को उच्च शिक्षा के लिए सशक्त बनाया जा सके। आवश्यकता इस बात की है कि राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक में सभी मुख्यमंत्रियों के साथ हिंदी को लागू कराने पर चर्चा की जाए और हिंदी को पहली कक्षा से क्षेत्रीय भाषा के अलावा एक दूसरी भाषा के रूप में सिखाने के लिए राष्ट्रीय योजना तैयार की जाए।

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