राजभाषा विकास परिषद (परिषद), नागपुर, ने विंडोज़, एम. एस. ऑफ़िस के साथ कंप्यूटर सॉफ़्टवेयरों की सहायता से हिंदी में पेपरलेस कार्यालय का प्रगत (ऐडवांस) प्रशिक्षण कार्यक्रम का 26वाँ कार्यक्रम 14-18 फ़रवरी 2011 तक आयोजित किया जिसमें भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक नोट मुद्रण प्रेस, शालबनी, मध्य रेल नागपुर, बैंक ऑफ़ इंडिया, सिंडिकेट बैंकों के आठ अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यक्रम के उपरांत सहभागियों ने अपनी प्रतिक्रियाओं में बताया कि अभी तक हमने इस प्रकार का कार्यक्रम न ही सुना था और न ही उसमें भाग लिया था। यह कार्यक्रम अपने किस्म का अनोखा और अलग प्रकार का है। इसमें आने के बाद हमारा आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है। अब हम अपना काम कंप्यूटर पर बिना किसी की मदद, यूनीकोड में तो कर ही सकते हैं साथ ही हम इतने सक्षम हो गए हैं कि अपने सहयोगियों की भी मदद कर सकते हैं।
परिषद नवंबर 2007 से बैंकों/ पीएसयू/ सरकारी कार्यालयों में कार्यरत अधिकारियों/ राजभाषा अधिकारियों के लिए विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करती आ रही है जिसमें अब तक 39 विभिन्न संस्थाओं के अधिकारी भाग ले चुके हैं। अब तक कुल 29 कार्यक्रम आयोजित किए जा चुके हैं और उनमें से 26 एकीकृत गहन विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। अगला गहन कार्यक्रम अप्रैल माह में आयोजित है जिसका घोषणा पत्र संस्थाओं के मानव संसाधन विकास विभागों को भेज दिया गया है।
इस कार्यक्रम में हिंदी भाषा, देवनागरी की मानक वर्तनी, एम.एस. ऑफ़िस वर्ड, इक्सेल, पावर प्वाइंट, ऐक्सेस, वर्ड आर्ट, विभिन्न प्रकार की इमेज प्रॉसेसिंग(पीडीएफ, जेपीजी, जीआईएफ़, टीआईएफ़) के अलावा सीडी राइटिंग, स्कैनिंग, फ़ाइलों की ज़िपिंग अनज़िपिंग, पावर प्वाइंट द्वारा स्वयं प्रेज़ेंटेशन तैयार करना और उसका प्रस्तुतीकरण कराया गया।
उन्होंने यह सुझाव भी दिए कि नव नियुक्त राजभाषा अधिकारियों के लिए ऐसे एकीकृत गहन विकास कार्यक्रम की आवश्यकता है जिसमें राजभाषा अधिकारियों को, राजभाषा अधिकारियों के कार्य (ड्यूटी) व राजभाषा के कार्यान्वयन से जुड़े समस्त पहलुओं को शामिल करते हुए पूर्ण रूप से कंप्यूटरीकृत माहौल में काम करने का गहन प्रशिक्षण दिया जाए। इसके लिए एकीकृत गहन विकास कार्यक्रम (इंडक्शन) कार्यक्रम आयोजित करने की आवश्यकता है ताकि वे संस्था में अपना काम अच्छी तरह निभा सकें। परिषद द्वारा विकसित किए गए कीबोर्ड का प्रयोग किया गया। सहभागियों ने इसे ज़्यादा सरल और हिंदी की प्रकृति के अनुकूल बताया।
कार्यक्रम में सहभागी अधिकारियों का सामूहिक चित्र
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