रविवार, दिसंबर 05, 2010

साइबर अपराध - अपरिहार्य परंतु रोकथाम संभव

राजभाषा विकास परिषद ने अभी नवंबर में साइबर अपराध और निवारक उपाय विषय पर तीन दिन का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया था (यद्यपि उसमें संस्थाओं की सहभगिता नगण्य थी) और उस समय कंप्यूटर विशेषज्ञों ने कहा था कि साइबर अपराध तो रोकना संभव नहीं है क्योंकि अपराधियों के उपजाऊ दिमाग़ केवल अपराध के बारे में ही प्रयासरत रहते हैं जब कि हमें अपने दैनिक काम को निपटाने के साथ साथ साइट व अपने कंप्यूटरों की सुरक्षा का भी ध्यान रखना होता है। पुलिस ही अपराधों की छानबीन करती है और अपराधियों को सज़ा भी दिलाती है परंतु उसी की साइट हैक हो जाए, वह भी जो कि बहुत ही संरक्षित साइट हो (सी.बी.आई. की साइट पाकिस्तानी हैकरों द्वारा हैक कर ली गई) तो आप क्या कहेंगे? अतः यह मानकर न बैठें कि हमने फ़ायर वॉल लगा दिया है या इंट्रू़ज़न डिटेक्शन सिस्टम (आई डी एस) लगा दिया है तो हमारी साइट सुरक्षित हो गई है। हमें निरंतर, मतलब हर क्षण, चौकस रहना होगा तथा सिक्यूरिटी ऑडिट पर ध्यान देना होगा। सरकारी कार्यालयों और एन आई सी द्वारा चलाई जा रही साइटों की सिक्यूरिटी ऑडिट पर ध्यान न देना सबसे बड़ी कमी है। चौकस रहना ही सुरक्षा की गारंटी है। 


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