अपने देश की आज़ादी की 64वीं जन्मतिथि के अवसर पर मुझे गर्व है कि मैं भारतीय हूं। देश की आज़ादी का उत्सव हर साल मानाया जाता है और उसी परंपरा में इस वर्ष भी मनाया जा रहा है। अपने बचपन से हम इस उत्सव को मनाते और देखते आ रहे हैं। इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य उन शहीदों और विभूतियों का स्मरण करना है तथा उन्हें श्रद्धांजलि देना है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर हमें आज़ाद कराया है। मैं अपनी ओर से उन रणबांकुरों को श्रद्धा के सुमन अर्पित करता हूँ।
इसके बाद देश के वर्तमान हालात पर कुछ कहना चाहूँगा हालाँकि देश के बुद्धिजीवियों का इसमें कोई सकारात्मक योगदान नहीं हो पा रहा है क्योंकि समाज और समाज सेवा और देश प्रेम की परिभाषा बदल गई है। हम अपने आपको असहाय पा रहे हैं। 9 प्रतिशत की विकास दर के बावजू़द किसान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हैं। गांव आज भी बाढ़ और सूखे की मार से उबर नहीं पा रहे हैं। किसान की खेती तैयार होते ही बाज़ार भाव धूल चाटने लगता है। किसान को मजबूरन उत्पाद को न्यून मूल्य पर बेचकर साहूकार को चुकाना पड़ता है। आज भी स्थिति वही है। आज़ादी और विकास में कोई तालमेल नहीं रहा है। जो कुछ करने में सक्षम हैं वे भी असहाय लगते हैं। हमारे हाथ में वह शक्ति नहीं है इसलिए हम असहाय हैं। फिर भी हमें अपना कर्तव्य सत्यनिष्ठा से निभाना है। यदि हम ऐसा करते हैं तो हमें आत्म संतुष्टि तो मिलेगी ही इससे समाज का विकास होगा।
आप जानते हैं कि हमारे देश पर कई विदेशियों ने आक्रमण किया था, हमें लूटा था, हमें गु़लाम बनाया था। उनकी गु़लामी से छुटकरा पाने के लिए हमें अपना खून बहाना पड़ा था तब जाकर हमें स्वतंत्रता मिली थी। परंतु हमने किसी देश पर आक्रमण नहीं किया था और न ही किसी देश को गु़लाम बनाया था। ऐसा नहीं था कि हम कायर थे या हममें कुछ करने का माद्दा नहीं था। क्या हम कमज़ोर थे? नहीं। फिर भी हमने ऐसा नहीं किया क्योंकि हम किसी की स्वतंत्रता में खलल नहीं डालना चाहते। हम सबकी स्वतंत्रता की क़द्र करते हैं और सभी को स्वतंत्र देखना चाहते हैं। हमारा दृष्टिकोण व्यापक व सर्व हितकारी होना है। हमें इसी दृष्टिकोण से सोचना होगा और कार्य करना होगा।
हमरा दूसरा सपना होना है देश को विकसित देखने का। इस विषय में मेरा विचार बहुत ही स्पष्ट और दृढ़ है। विकसित देश के जो लक्षण होते हैं वे सभी हमारे देश में भी मौजूद हैं। हमारा देश कई क्षेत्रों में नंबर एक है :
1. हमारा देश विश्व में सबसे अधिक दूध पैदा करता है,
2. गेहूँ उत्पादन में हम विश्व में दूसरे नंबर पर हैं,
3. चावल उत्पादन में हम विश्व में दूसरे नंबर पर हैं,
4. रिमोट सेंसिंग में हम नंबर एक हैं,
5. हमारे पास अत्याधुनिक वायुयान व एयरपोर्ट हैं,
6. हमारे पास सर्वोत्तम सड़कें, शिक्षा के साधन, इंजीनियर और वैज्ञानिक हैं,
7. हमारी अर्थव्यवस्था बहुत ही मज़बूत है।
फिर भी हम विकसित देश नहीं हैं। क्यों? क्योंकि हममें आत्मविशवास की कमी है। हम विदेशी भाषा के सहारे आम जनता से दूरी बनाए हुए हैं, प्रशासन और अनुसंधान में आम आमदमी को दूर रखने की साजिश में लगे हुए हैं। हमें आत्मविश्वास बढ़ाना होगा। हमारा आत्मविश्वास केवल सकारात्मक सोच से ही बढ़ेगा। सकारात्मक सोच तभी आएगी जब हम आम लोगों के बारे में सोचेंगे। आम आदमी को अपनी नीतियों में सहभागी बनाना होगा। हमें अपनी भाषा को अपनाना होगा। इसका सर्वंगीण विकास करना होगा। आइए 64 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर संकल्प करें कि हम उस किसी काम की आलोचना नहीं करेंगे जो हम स्वयं करते हैं और हर क्षेत्र में अपनी भाषा को अपनाकर इसका सम्मान विकास करेंगे।
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