मंगलवार, जनवरी 25, 2011

हिंदी पाकिस्तानी भाषा है? - हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने का औचित्य


ब्लॉगों पर प्रकाशित विचारों की खोज के दौरान selvaganesh1.sulekha.com ब्लॉग मिला जिस पर निम्नलिखित विचार पढ़ने के लिए मिला। हू-ब-हू प्रस्तुत है –
"i dont why traitors feel proud of speaking pakistan's language. there is no bigger shame then these so called "indians?".
hindi is the biggest shame of india. it is consequence of centuries of ruthless rules. biggest shame is that hindi is other name of urdu, the language of pakistan, india's enemy.
those who count of many speak hindi in tamilnadu or else where should remember if they speak their own (indian) language which was forgotton for a language brought by muslims.
tamils are justified in staying aways from these traitor enemies."
इसमें हिंदी को पाकिस्तानी भाषा बताया गया है और इसके बोलने वाले को देशद्रोही की संज्ञा भी दी गई है। हम इस विचार को किसी सिरफिरे का विचार कहकर नज़र अंदाज़ भी कर सकते हैं। परंतु यह तो अज्ञानता का परिचायक होने के साथ-साथ गलत धारणा फैलाने वाला विचार है। इस पर सभी ब्लॉगर बंधुओं को विचार करना चाहिए और हिंदी भाषा को सही ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए।
हिंदी को राजभाषा का सम्मान कृपापूर्वक नहीं दिया गया बल्कि यह उसका अधिकार है। यहां अधिक विस्तार में जाने की आवश्यकता नहीं है, केवल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी द्वारा बताए गए निम्नलिखित लक्षणों पर दृष्टि डाल लेना ही पर्याप्त रहेगा, जो उन्होंने एक राष्ट्रीय भाषा’ (राष्ट्रीय भाषा से अभिप्राय राजभाषा से ही है) के लिए बताए थे-
(1) अमलदारों के लिए वह भाषा सरल होनी चाहिए।
(2) उस भाषा के द्वारा भारतवर्ष का आपसी धार्मिक, आर्थिक और राजनीतिक व्यवहार हो सकना चाहिए।
(3) यह जरूरी है कि भारतवर्ष के बहुत से लोग उस भाषा को बोलते हों।
(4) राष्ट्र के लिए वह भाषा आसान होनी चाहिए।
(5) उस भाषा का विचार करते समय किसी क्षणिक या अल्प स्थायी स्थिति पर जोर नहीं देना चाहिए।
इन लक्षणों पर हिंदी भाषा बिल्कुल खरी उतरती है।
भारत की राजभाषा हिंदी तो पाकिस्तान के बजूद में आने से सौ साल से भी पहले से अस्तित्व में है। अतः इसे पाकिस्तानी भाषा कहना अनुचित है।   
सामान्य जानकारी के लिए - हिंदी के बारे में कालक्रमानुसार प्रगति
1833-86 : गुजराती के महान कवि श्री नर्मद (1833-86) ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का विचार रखा।    1872 : आर्य समाज के संस्थापक महार्षि दयानंद सरस्वती जी कलकत्ता में केशवचंद्र सेन से मिले तो उन्होंने स्वामी जी को यह सलाह दे डाली कि आप संस्कृत छोड़कर हिंदी बोलना आरंभ कर दें तो भारत का असीम कल्याण हो। तभी से स्वामी जी के व्याख्यानों की भाषा हिंदी हो गई और शायद इसी कारण स्वामी जी ने सत्यार्थ प्रकाश की भाषा भी हिंदी ही रखी। 1873: महेंद्र भट्टाचार्य द्वारा पदार्थ विज्ञान की रचना; 1893 : काशी नागरीप्रचारिणी सभा की स्थापना; 1918 : मराठी भाषी लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ने कांग्रेस अध्यक्ष की हैसियत से घोषित किया कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी। 1918 : महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की स्थापना; 1930 का दशक : हिंदी टाइपराइटर का विकास (शैलेंद्र मेहता); 1935 : मद्रास राज्य के मुख्यमंत्री रूप में सी० राजगोपालाचारी ने हिंदी शिक्षा को अनिवार्य कर दिया। ; 1949 : संविधान सभा ने हिंदी 14 सितंबर 1949 को संघ की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया । इस दिन को अब हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।;
1950 : संविधान लागू हुआ। तदनुसार उसमें किए गए भाषाई प्रावधान(अनुच्छेद 120, 210 तथा 343 से 351) लागू हुए।; 1952 : शिक्षा मंत्रालय द्वारा हिंदी भाषा का प्रशिक्षण ऐच्छिक तौर पर प्रारंभ किया गया ।
1955 : हिंदी शिक्षण योजना की स्थापना । केंद्र सरकार के मंत्रालयों, विभागों, संबद्ध व अधीनस्थ कर्मचारियों को सेवाकालीन प्रशिक्षण।; 1955 : बी.जी. खेर आयोग का गठन (संविधान के अनुच्छेद 344 (1) के अंतर्गत)
1955 : गृह मंत्रालय के अन्तर्गत हिंदी शिक्षण योजना प्रारंभ की गई।; 1955 : संविधान के अनुच्छेद 343 ( 2) के परंतुक द्वारा दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए संघ के कुछ कार्यों के लिए अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिंदी भाषा का प्रयोग किए जाने के आदेश जारी किए गए।; 1956 :  खेर आयोग की रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गई।; 1957 : खेर आयोग की रिपोर्ट पर विचार हेतु तत्कालीन गृह मंत्री श्री गोविन्द वल्लभ पंत की अध्यक्षता में संसदीय समिति का गठन।; 1959 : संविधान के अनुच्छेद 344 (4) के अन्तर्गत संसदीय समिति की रिपोर्ट राष्ट्रपति जी को प्रस्तुत की गई।; 1959 : सितंबर में संसदीय समिति की रिपोर्ट पर संसद में बहस। तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा आश्र्वासन दिया गया कि अंग्रेजी को सह-भाषा के रूप में प्रयोग में लाए जाने हेतु कोई व्यावधान उत्पन्न नहीं किया जाएगा और न ही इसके लिए कोई समय-सीमा ही निर्धारित की जाएगी। भारत की सभी भाषाएं समान रूप से आदरणीय हैं और ये हमारी राष्ट्रभाषाएं हैं।; 1960 हिंदी टंकण, हिंदी आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण आरंभ किया गया।; 1960 :  27 अप्रैल को संसदीय समिति की रिपोर्ट पर राष्ट्रपति के आदेश जारी किए गए जिनमें हिंदी शब्दावलियों का निर्माण, संहिताओं व कार्यविधिक साहित्य का हिंदी अनुवाद, कर्मचारियों को हिंदी का प्रशिक्षण, हिंदी प्रचार, विधेयकों की भाषा, उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालयों की भाषा आदि मुद्दे हैं।; 1963 : 10 मई को अनुच्छेद 343(3) के प्रावधान व श्री जवाहर लाल नेहरू के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए राजभाषा अधिनियम बनाया गया। इसके अनुसार हिंदी संघ की राजभाषा व अंग्रेजी सह-राजभाषा के रूप में प्रयोग में लाई गई।; 1967 :  5 सितंबर को प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय हिंदी समिति का गठन किया गया। यह समिति सरकार की राजभाषा नीति के संबंध में महत्वपूर्ण दिशा-निदेश देने वाली सर्वोच्च समिति है। इस समिति में प्रधानमंत्री जी के अलावा नामित केंद्रीय मंत्री, कुछ राज्यों के मुख्यमंत्री, सांसद तथा हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के विद्वान सदस्य के रूप में शामिल किए जाते हैं।
1967 :  16 दिसंबर को संसद के दोनों सदनों द्वारा राजभाषा संकल्प पारित किया गया जिसमें हिंदी के राजकीय प्रयोजनों हेतु उत्तरोत्तर प्रयोग के लिए अधिक गहन और व्यापक कार्यक्रम तैयार करने, प्रगति की समीक्षा के लिए वार्षिक मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने, हिंदी के साथ -साथ 8वीं अनुसूची की अन्य भाषाओं के समन्वित विकास के लिए कार्यक्रम तैयार करने, त्रिभाषा सूत्र का अपनाए जाने, संघ सेवाओं के लिए भर्ती के समय हिंदी व अंग्रेज़ी में से किसी एक के ज्ञान की आवश्यकता अपेक्षित होने तथा संघ लोक सेवा आयोग द्वारा उचित समय पर परीक्षा के लिए संविधान की 8वीं अनुसूची में सम्मिलित सभी भाषाओं तथा अंग्रेज़ी को वैकल्पिक माध्यम के रूप में रखने की बात कही गई है। (संकल्प 18.8,1968 को प्रकाशित हुआ); 1968 : राजभाषा अधिनियम, 1963 में संशोधन किए गए। तदनुसार धारा 3 (4) में यह प्रावधान किया गया कि हिंदी में या अंग्रेज़ी भाषा में प्रवीण संघ सरकार के कर्मचारी प्रभावी रूप से अपना काम कर सकें तथा केवल इस आधार पर कि वे दोनों ही भाषाओं में प्रवीण नहीं हैं उनका कोई अहित न हो (उच्चतम न्यायालय के फ़ैसले के अनुक्रम में)। धारा 3 (5) के अनुसार संघ के राजकीय प्रयोजनों में अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग समाप्त कर देने के लिए आवश्यक है कि सभी राज्यों के विधान मंडलों द्वारा (जिनकी राजभाषा हिंदी नहीं है) ऐसे संकल्प पारित किए जाएं तथा उन संकल्पों पर विचार करने के पश्चात अंग्रेज़ी भाषा का प्रयोग समाप्त करने के लिए संसद के हरेक सदन द्वारा संकल्प पारित किया जाए।; 1968: राजभाषा संकल्प 1968 में किए गए प्रावधान के अनुसार वर्ष 1968-69 से राजभाषा हिंदी में कार्य करने के लिए विभिन्न मदों के लक्ष्य निर्धारित किए गए तथा इसके लिए वार्षिक कार्यक्रम तैयार किया गया।;     1971 : केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो का गठन।; 1973 : केंद्रीय अनुवाद ब्यूरो के दिल्ली स्थिति मुख्यालय में एक प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना।; 1974 : तीसरी श्रेणी के नीचे के कर्मचारियों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों तथा कार्य प्रभारित कर्मचारियों को छोड़कर केंद्र सरकार के कर्मचारियों के साथ-साथ केंद्र सरकार के स्वामित्व एवं नियंत्रणाधीन निगमों, उपक्रमों, बैंकों आदि के कर्मचारियों व अधिकारियों के लिए हिन्दी भाषा, टंकण एवं आशुलिपि का अनिवार्य प्रशिक्षण।; 1975 : राजभाषा से संबंधित संवैधानिक, विधिक उपबंधों के कार्यान्वयन हेतु राजभाषा विभाग का गठन किया गया।; 1976 : राजभाषा नियम बनाए गए।; 1976 : संसदीय राजभाषा समिति का गठन। तब से अब तक समिति ने अपनी रिपोर्ट के 8 भाग प्रस्तुत किए हैं जिनमें से प्रथम 7 पर राष्ट्रपति के आदेश जारी हो गए हैं। आठवें खंड में की गई संस्तुतियों पर मंत्रालयों व राज्य सरकारों की टिप्पणी प्राप्त की जा रही है।; 1981 : केंद्रीय सचिवालय राजभाषा सेवा संवर्ग का गठन किया गया।; 1983 : केंद्रीय सरकार के मंत्रालयों, विभागों, सरकारी उपक्रमों, राष्ट्रीयकृत बैंकों में यांत्रिक और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों द्वारा हिंदी में कार्य को बढ़ावा देने तथा उपलब्ध द्विभाषी उपकरणों के प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से राजभाषा विभाग में तकनीकी कक्ष की स्थापना की गई। 1985 : केंद्रीय हिंदी प्रशिक्षण संस्थान का गठन कर्मचारियों/अधिकारियों को हिंदी भाषा, हिंदी टंकण और हिंदी आशुलिपि के पूर्णकालिक गहन प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया गया।; 1986 : कोठारी शिक्षा आयोग की रिपोर्ट। 1968 में पहले ही यह सिफारिश की जा चुकी थी कि भारत में शिक्षा का माध्यम भारतीय भाषाएं होनी चाहिए । उच्च शिक्षा के माध्यम के संबंध में नई शिक्षा नीति (1986) के कार्यान्वयन - कार्यक्रम में कहा गया - स्कूल स्तर पर आधुनिक भारतीय भाषाएं पहले ही शिक्षण माध्यम के रूप में प्रयुक्त हो रही हैं । आवश्यकता इस बात की है कि विश्वविद्यालय के स्तर पर भी इन्हें उत्तरोत्तर माध्यम के रूप में अपना लिया जाए। इसके लिए अपेक्षा यह है कि राज्य सरकारें, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से परामर्श करके, सभी विषयों में और सभी स्तरों पर शिक्षण माध्यम के रूप में उत्तरोत्तर आधुनिक भारतीय भाषाओं को अपनाएं।
1999 : संघ की राजभाषा हिंदी की स्वर्ण जयंती मनाई गई।; 2003 : डॉ. सीता कान्त महापात्र की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया जो संविधान की आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को सम्मिलित किए जाने तथा आठवीं अनुसूची में सभी भाषाओं को संघ की राजभाषा घोषित किए जाने की साध्यता परखने पर विचार करेगी । समिति ने 14.6.2004 को अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की।; 2003 : मंत्रिमंडल ने एन.डी.ए. तथा सी.डी.एस. की परीक्षाओं में प्रश्न पत्रों को हिंदी में भी तैयार करने का निर्णय लिया।; 2003 :  कंप्यूटर की सहायता से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए राजभाषा विभाग ने कंप्यूटर प्रोग्राम (लीला हिंदी प्रबोध, लीला हिंदी प्रवीण, लीला हिंदी प्राज्ञ ) तैयार करवा कर सर्व साधारण द्वारा उसका निःशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया है।; 2004 : केंद्रीय सरकार की राजभाषा नीति के अनुपालन/कार्यान्वयन के लिए न्यूनतम हिंदी पदों के मानक पुनः निर्धारित।; 2004 : मातृभाषा विकास परिषद् द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने यह पाया कि वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के गठन का उद्देश्य हिंदी एवं अन्य आधुनिक भाषाओं के लिए तकनीकी शब्दावली में एकरूपता अपनाया जाना है। यह एकरूपता तकनीकी शब्दावली के प्रयोग के लिए आवश्यक है । उच्चतम न्यायालय ने निदेश दिया कि आयोग द्वारा बनाई गई तकनीकी शब्दावली भारत सरकार के अंतर्गत एन.सी.ई.आर.टी तथा इसी प्रकार की अन्य संस्थाओं द्वारा तैयार की जा रही पाठय पुस्तकों में प्रयोग में लाई जाए।; 2004 : कंप्यूटर की सहायता से तमिल, तेलुगू, मलयालम तथा कन्नड़ भाषाओं के माध्यम से प्रबोध, प्रवीण तथा प्राज्ञ स्तर की हिंदी स्वयं सीखने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार करवा कर उसके निःशुल्क प्रयोग के लिए उसे राजभाषा विभाग की वैब साइट पर उपलब्ध करा दिया।; 2005 : 525 हिंदी फ़ॉन्ट, फ़ॉन्ट कोड कनवर्टर, अंग्रेज़ी - हिंदी शब्दकोश, हिंदी स्पेल चेकर को निःशुल्क प्रयोग के लिए वेब साइट पर उपलब्ध करा दिया गया। इन्हें http://ildc.in <http://ildc.gov.in/; से डाउनलोड किया जा सकता है।

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