शनिवार, अक्तूबर 02, 2010

देश की राष्ट्रभाषा के बारें में उच्च अदालतों का रवैया


देश का संविधान लागू हुए 60 साल हो गए लेकिन देश की राष्ट्रभाषा क्या हो यह अभी तक तय नहीं। भले ही संविधान का अनुच्छेद 343 हिंदी को 'देश की राजभाषा' घोषित करता हो लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसा कोई प्रावधान या आदेश रिकार्ड पर मौजूद नहीं है जिसमें हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया हो।
2.         श्रीकांत तिवारी ने हिंदी के राष्ट्रभाषा होने को आधार मानकर विभिन्न उत्पादों पर जानकारी को हिंदी में अनिवार्य तौर पर छापे जाने संबंधी एक याचिका गुजरात हाईकोर्ट में लगाई थी। इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने गत 13 जनवरी को अपने फैसले में कहा कि  'सामान्यत: भारत में ज्यादातर लोगों ने हिंदी को राष्ट्रभाषा की तरह स्वीकार किया है और बहुत से लोग हिंदी बोलते हैं तथा देवनागरी में लिखते हैं लेकिन रिकार्ड पर ऐसा कोई आदेश या प्रावधान मौजूद नहीं है जिसमें हिंदी को देश की राष्ट्रभाषा घोषित किया गया हो।'   
3.         इस फ़ैसले विरुद्ध श्रीकांत तिवारी सुप्रीम कोर्ट गए थे परंतु मुख्य न्यायाधीश के.जी. बालाकृष्णन, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा व न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान की पीठ ने राष्ट्रभाषा हिंदी के संबंध में याचिका लगाने वाले श्रीकांत तिवारी के वकील मनोज कुमार मिश्र की याचिका को नकार दिया। मिश्रा ने अदालत को बताया कि वह गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के उस अंश को चुनौती देना चाहते हैं जिसमें अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 343 को नजरअंदाज करते हुए कह दिया है कि हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने के संबंध में रिकार्ड पर कोई आदेश या प्रावधान मौजूद नहीं है।
4.         मैंने अपने 'राष्ट्र और राष्ट्रभाषा' ब्लॉग पोस्ट में लिखा था कि हमारे देश का अपना राष्ट्रध्वज है, हमारा अपना राष्ट्रगान है, राष्ट्रपशु है, राष्ट्रपक्षी है और भी बहुतसी राष्ट्रीय वस्तुएं हैं परंतु हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है। ऐसा क्यों ? ये राष्ट्रीय वस्तुएं या तो संख्या में एक हैं या फिर किसी जाति विशेष का द्योतक। उसी प्रकार हमारी राष्ट्रीय भाषा भी भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं की सूचक हो सकती है यदि हम इसे राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा दे दें। परंतु हम ऐसा होने नहीं देंगे क्योंकि हम प्रछन्न विद्वेष की संकुचित विचारधारा में फंस गए हैं।
5.         मेरा विचार है कि यदि हिंदी देश का प्रतिनिधित्व करती है तो इसे राष्ट्रभाषा का दर्ज़ा दिया जाना आवश्यक है क्योंकि देश के बाहर इसका प्रतिनिधित्व तो हिंदी ही करती है। हम यू. एन. ओ. में हिंदी का प्रयोग कराना तो चाहते हैं परंतु देश में इसकी हालत को सुधारने के बारे में चिंतित नहीं हैं। यदि हमने राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रपशु, राष्ट्रपक्षी स्वीकार किया है तो राष्ट्रभाषा नाम स्वीकार करने में कोई हर्ज़ नहीं है। यदि राष्ट्र शब्द से परहेज़ करना ही है तो किसी वस्तु को राष्ट्र का नाम न दिया जाए। राष्ट्र के अंदर रहने वाली सभी वस्तुएं जब स्वयमेव राष्ट्रीय हैं तो राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रपशु, राष्ट्रपक्षी घोषित करने की क्या ज़रूरत है? परंतु हमने सम्मान देने के विचार से जब राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रपशु, राष्ट्रपक्षी घोषित कर ही दी है तो हिंदी को राष्ट्रभाषा कहने में संकोच नहीं करना चाहिए। स्वतंत्रता प्राप्ति से पहले हिंदी को राष्ट्रभाषा ही कहा जाता था। इसके प्रचार प्रसार के लिए 'राष्ट्रभाषा प्रचार सभा' की स्थापना की गई थी। संविधान समिति की बैठकों में भी राष्ट्रभाषा शब्द का ही प्रयोग किया जाता था। बाद में, संकुचित विचारधारा के लोगों की चाल में आकर संविधान में 'राजभाषा' का नाम दे दिया गया। इसे राष्ट्रीय सम्मान या गौरव का रूप न देकर मात्र राजकाज की भाषा का दर्ज़ा दे दिया गया जिसका अस्तित्व ब्यूरोक्रेसी की मानसिकता, उसकी सुविधा, असुविधा और दया पर निर्भर है। ब्यूरोक्रेसी यह तय कर रही है कि हिंदी का प्रयोग कितनी मात्रा में और किस काम के लिए किया जाए, वह भी ज़रूरी नहीं है? अतः हिंदी के लिए राष्ट्रभाषा शब्द ही उचित है।
6.         वास्तव में इस विषय पर व्यापक आंदोलन की आवश्यकता है जो सभी स्तर पर आमूल शुरू किया जाए।
7.         आपकी प्रतिक्रया हमारे लिए आगे की कार्रवाई करने में सहायक होगी।  

रविवार, सितंबर 26, 2010

कंप्यूटर पर यूनीकोड हिंदी में बिना किसी अतिरिक्त हिंदी सॉफ़्टवेयर हिंदी में काम करना

कंप्यूटर पर यूनीकोड हिंदी में बिना किसी अतिरिक्त हिंदी सॉफ़्टवेयर हिंदी में काम करना संभव और बहुत आसान हो गया है। परंतु इसके लिए ऑपरेटिंग सिस्टम में कुछ सेटिंग करनी होती है।
भाग - क
कंप्यूटर में हिंदी में कार्य और मंगल नामक यूनिकोड अथवा एरियल यूनीकोड एमएस फ़ॉन्ट उपलब्ध हैं। अतः

ऑपरेटिंग सिस्ट में सेटिंग करने से पहले पता करें कि आपके कंप्यूटर में कौन-सा ऑपरेटिंग सिस्टम है और तदनुसार ऑपरेटिंग सिस्टम की सीडी तैयार रखें। (ऑपरेटिंग सिस्टम का संस्करण ज्ञात करने के लिए My Computer के आइकन पर राइट क्लिक करें और उसकी Properties देखें।)

i) विंडोज़ एक्सपी में की जाने वाली सेटिंग

स्टार्ट बटन पर क्लिक करके - कंट्रोल पैनल खोलें; उसमें रीजनल एंड लेंग्वेज ऑप्शंस; पर क्लिक करें, उस डायल़ग बॉक्स में लेंग्वेजेस टैब पर क्लिक करें; उसके बाद सप्लिमेंटल लेंग्वेज सपोर्ट के अंतर्गत, इंस्टाल फ़ाइल्स फ़ॉर कॉम्प्लेक्स स्क्रिप्ट ऐंड राइट टू लेफ़्ट लैंग्वेजेज़ वाले चेक बॉक्स को टिक करें और सीडी ड्राइव में विंडोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम की सीडी डालें और ओके बटन पर क्लिक कर दें। यदि सीडी न मिल पाए तो ब्राउज़ द्वारा विंडोज़ सिस्टम में उपलब्ध i386 नामक फ़ोल्डर का पाथ बताएं। फ़ॉइल कॉपी हो जाने के बाद कंप्यूटर को रीस्टार्ट करें।

अभी आपका कंप्यूटर कॉम्प्लेक्स स्क्रिप्ट ऐंड राइट टू लेफ़्ट लैंग्वेजेज़ वाली भाषा पढ़ने के लिए तैयार हुआ है। अब आपको टाइप करने के लिए इनपुट मेथड एडिटर को जोड़ना है। उसके बाद रीजनल एंड लेंग्वेज ऑप्शंस टैब में डिटेल्स ऑप्शंस पर क्लिक करें और डीफ़ॉल्ट इन्पुट लैंग्वेज ऑप्शन में ऐरो पर क्लिक करेंगे तो भाषाओं की सूची खुलेगी। इनमें से हिंदी भाषा को क्लिक करें और उसके बाद कीबोर्ड लेआउट आईएमई वाले टेक बॉक्स को टिक कर लें। इसके बाद हिंदी ट्रेडिशनल कीबोर्ड को सेलेक्ट करके ओके बटन दबा दें।अब आप अपना डॉक्यमेंट एडीटर खोलें और आल्ट+शिफ़्ट कुंजियों को दबाकर क्रमशः हिंदी अथवा अंग्रेज़ी भाषाओं में टॉगल करते रहें और टाइप करें।


ii) विंडोज़ विस्टा में सेटिंग - विंडोज़ विस्टा में इंस्टालेशन के समय ही हिंदी सहित सभी प्रमुख भाषाएं इंस्टाल हो जाती हैं। इसमें विंडोज़ एक्सपी की तरह लेंग्वेज ऑप्शन में जाकर उसे ऐक्टिवेट करने की आवश्यक्ता नहीं है। आप अपना पसंदीदा की-बोर्ड ले-आउट जोड़कर हिंदी में टाइप कर सकते हैं जैसा कि नीचे दिखाया गया है।

iii) विंडोज़ 7 में सेटिंग - विंडोज़ विस्टा की भांति विंडोज़ 7 में इंस्टासलेशन के समय ही हिंदी सहित सभी प्रमुख भाषाएं इंस्टा7ल हो जाती हैं। इसमें विंडोज़ एक्सपी की तरह लेंग्वेवज ऑप्शन में जाकर उसे ऐक्टिवेट करने की आवश्यक्ता नहीं है। आप अपना पसंदीदा की-बोर्ड ले-आउट जोड़कर हिंदी में टाइप कर सकते हैं जैसा कि नीचे दिखाया गया है।


ख) की-बोर्ड ड्राइवर का इंस्टालेशन

i) इंडिक आइएमई की-बोर्ड

इंडिक आइएमई /IndicIME
माइक्रोसॉफ़्ट भाषाइंडिया का Indic IME विंडोज़ पर हिंदी टाइपिंग हेतु एक श्रेष्ठ IME टूल है। इसे माइक्रोसॉफ़्ट ने वेबदुनिया के सहयोग से विकसित किया था। इसमें आठ प्रकार के कीबोर्ड उपलब्ध हैं जिनमें फ़ोनेटिक, टाइपराइटर तथा इन्स्क्रिप्ट लेआउट प्रमुख हैं। ये विंडोज़ एनटी वाले ऑपरेटिंग सिस्टमों यथा विंडोज़ 2000, एक्सपी, 2003 विस्टा और विंडोज़7 ऑपरेटिंग सिस्टमों तथा यूनिक्स, लिनक्स, बॉस (भारत ऑपरेटिंग सिस्टम सॉलूशंस) आदि ऑपरेटिंग सिस्टमों पर चलाया जा सकता है।
नीचे Windows-XP पर Indic IME स्थापित करने की विधि समझाई गई है। Windows 2000 पर प्रयोग होने वाली विधि इससे मिलती जुलती है।
1. Indic IME डाउनलोड करना :-- माइक्रोसॉफ़्ट भाषाइंडिया की साइट से Hindi Indic IME 1.v.5.1 डाउनलोड करें और इंस्टाल करें।
2. IME इंस्टाल करना :-- Hindi Indic IME 1v5.1 डाउनलोड होकर hindi_IME _setup .zip आप के चुने फ़ोल्डर में हो जाएगी। इस फ़ॉइल को अपनी पसंद  के फ़ोल्डर में unzip कर लें।
3. setup.exe नाम की फ़ॉइल को चला दें (run करें)। Hindi Indic IME1 (V5.1) आप के कंप्यूटर पर स्थापित हो जाएगा।
4. इंडिक आइएमई का की-बोर्ड जोड़ना :- Details बटन को दबाएँ। अब Add बटन को दबाएँ Input language सूची में से हिंदी चुनें, Keyboard layout/IME डिब्बे को सक्रिय करें, और सूची में से Hindi Indic IM (1.V5. .1) चुनें।
5. लैंग्वेज स्विचिंग कुंजी सेट करना:- Key Settings में जा कर आप चुन सकते हैं कि अँग्रेज़ी से हिंदी कुंजीपट और वापस आने के लिए कौन सी कुंजियों का प्रयोग करना है। सामान्यतः ALT+SHIFT से आप कुंजीपट बदल सकते हैं। OK क्लिक करें।
6. ऊपर की क्रिया पूरी होने के बाद आप के स्क्रीन के निचले दाहिने कोने में टास्कबार में एक बटन बन जाएगा जिस को क्लिक कर के आप अपनी टाइपिंग की भाषा बदल सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप सात कुंजीपटों में से कोई भी चुन सकते हैं।
बस अब Wordpad, MS Word, Excel, Internet Explorer, Google Talk आदि कोई भी विंडोज़ एप्लीकेशन खोल कर कहीं भी हिंदी लिखने के लिए तैयार हो जाइए। उसके बाद अपनी पसंद का कीबोर्ड चुन लें और हिंदी में काम करें।

आई एम ई के अलावा गूगल ने भी अपना टाइपिंग टूल (http://google.com/transliterate.indic) बनाया है जिसे वेबसाइट पर टाइपिंग करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है।  
यदि आपको फिर भी कोई कठिनाई आए तो मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी लिखकर छोड़ दें अथवा मुझ सीधे ही मेल भेजें। मेरा ईमेल पता है : dsysumimu@gmail.com, rvp@rvparishad.org
डॉ. दलसिंगार यादव
निदेशक
राजभाषा विकास परिषद
नागपुर (भारत)

क्या रुपए का नया प्रतीक क्षेत्रीयता का परिचायक है?