आजकल बाज़ार में जाएँ और ध्यान दें तो पाएँगे कि ग्राहक खरीदारी करके भुगतान के लिए पाँच सौ और हज़ार रुपए के नोट देते हैं और कम की खरीदारी करने पर दुकानदार छोटा नोट माँगता है। परंतु ग्राहक कहता है कि छोटा नोट नहीं है। छोटे नोट लोगों के पास कम हो गए हैं। क्या कारण है कि छोटे नोटों की कमी हो गई है? मेरी समझ से इसका कारण है एटीएम क्योंकि आजकल लोग बैंक जाकर मन मुताबिक़ नोटों में पैसे निकालने के बजाय एटीएम से रुपए निकालते हैं और जहाँ से छोटे नोट नहीं निकलते हैं। आईसीआईसीआई के एटीएम से तो अक्सर हज़ार रुपए तथा सौ रुपए के नोट ही मिलते हैं। अब एटीएम का उपयोग करेंगे तो कभी ऐसा भी होगा कि मशीन रुपए तो नहीं उगलेगी परंतु आपके खाते में से रुपए घटा दिए जाएँगे। ऐसे में ये कुछ सवाल हैं जिनके जवाब सभी को नहीं मालूम होते हैं और एटीएम आपके बैंक के बजाय किसी और बैंक का हो तो यह और चिंता की बात हो सकती है। ये सवाल इस प्रकार हैं -
एटीएम से रुपए निकालते समय यदि रुपए न निकलें और खाता में नामे हो जाए तो क्या करना चाहिए?
शिकायत कहां की जाए? ज़िम्मेदारी एटीएम जारी करने वाले बैंक की होती है या एटीएम चलाने वाले बैंक की?
कितने दिन बाद बैंक द्वारा पेनाल्टी देनी होती है? पेनाल्टी की रकम कौन देता है? पेनाल्टी की रकम के लिए दावा कहाँ और कब करना होता है? मैंने इन बातों के स्पष्टीकरण के लिए रिज़र्व बैंक के अपने मित्र से एक पोस्ट लिखने के लिए अनुरोध किया ते उन्होंने अंग्रेज़ी में जवाब दिया और कहा कि मैं अपने ब्लॉग पर हिंदी मे पोस्ट कर दूँ। अतः उनके पत्र में लिखी बातें इस प्रकार हैं –
शिकायत कहां की जाए? ज़िम्मेदारी एटीएम जारी करने वाले बैंक की होती है या एटीएम चलाने वाले बैंक की?
कितने दिन बाद बैंक द्वारा पेनाल्टी देनी होती है? पेनाल्टी की रकम कौन देता है? पेनाल्टी की रकम के लिए दावा कहाँ और कब करना होता है? मैंने इन बातों के स्पष्टीकरण के लिए रिज़र्व बैंक के अपने मित्र से एक पोस्ट लिखने के लिए अनुरोध किया ते उन्होंने अंग्रेज़ी में जवाब दिया और कहा कि मैं अपने ब्लॉग पर हिंदी मे पोस्ट कर दूँ। अतः उनके पत्र में लिखी बातें इस प्रकार हैं –
कानून और बैंकिंग के नियमों के अनुसार आपका संबंध आपके बैंक के ही साथ होता है। किसी और बैंक के एटीएम से रुपए निकालते समय भी आप अपने बैंक के ही ग्राहक होते हैं। अतः सारी ज़िम्मेदारी आपके बैंक की ही है। यदि आपको ऐसी स्थिति से सामना हो तो आप तुरंत अपने बैंक में जाएँ और रिपोर्ट करें। यदि ब्रैंक में न जा सकें तो ट्रांजैक्शन के विवरण के साथ अपने बैंक के कॉल सेंटर से संपर्क करें। ट्रांजैक्शन के 30 दिन के भीतर दावा किया जा सकता है। यदि उसके बाद दावा किया जाता है तो हर्ज़ाने के लिए हकदारी समाप्त हो जाती है।
रिज़र्व बैंक के अनुदेशों के अनुसार रिपोर्ट करने के सात कार्य दिवस के अंदर वह रकम आपके खाते में जमा हो जानी चाहिए। आपका बैंक एटीएम वाले बैंक से उस धन की माँग करेगा। यदि नियत दिन के भीतर आपके खाते में रकम जमा नहीं होती है तो आपका बैंक 100/- रुपए प्रतिदिन की दर से हर्ज़ाने का देनदार होगा। इस हर्ज़ाने की रकम की माँग आपको नहीं करनी पड़ेगी। बैंक को स्वयं ही वह रकम आपके खाते में जमा करना होता है। यदि बैंक हर्ज़ाने की रकम आपके खाते में नहीं जमा करता है तो बैंक के प्रधान कार्यालय को शिकायत भेजें। यदि वहाँ से कोई मदद नहीं मिले तो अपने क्षेत्र के बैंकिंग लोकपाल के पास, ट्रांजैक्शन के पूरे विवरण और अपनी शिकायत के संबंध में किए गए पत्र व्यवहार की प्रतियों के साथ शिकायत करें।
*******
इतनी अच्छी जानकारी देने के लिए बहुत-२ धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआज के दौर में सबसे आवश्यक जानकारी देने का बहुत-बहुत शुक्रिया शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंयदि आपको यह पोस्ट अच्छा लगा तथा अंग्रेजी से परहेज़ नहीं है तो आशा करता हूँ कि आपको मेरा ब्लॉग पसंद आएगा।
जवाब देंहटाएंकाम की जानकारी…
जवाब देंहटाएंजानकारी अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।.
जवाब देंहटाएंआपने लेख में बिल्कुल सही बताया है
जवाब देंहटाएं