गुरुवार, दिसंबर 30, 2010

इसका हिंदी से संबंध नहीं है परंतु सामज से है और हिंदी समाज की वाहिका-लायबिलिटी अर्थात् ज़िम्मेदारी


सुप्रीम कोर्ट की महिला जज ने अपनी ज़िम्मेदारी को अंग्रेज़ी में लायबिलिटी क्या कह दिया कि बवाल मच गया। अंग्रेज़ी के दुष्प्रभाव का एक और उदाहरण। क्या सुप्रीम कोर्ट की महिला जज को समाज की सच्चाई व्यक्त करना ग़लत है। कानून प्रशासन ही ऐसा व्यवसाय है जिसमें समाज के हर प्रकार के व्यक्तियों से साबका पड़ता है जिसकी वजह से कानून के व्यवसाय से जुड़े वकील और जज को समाज की ज़्यादा समझ होती है। जज को मालूम है कि अपनी किसी भी लड़की की शादी में 20-25 लाख से कम नहीं खर्च करना होगा। अतः उस खर्चे का प्रावधान करना होगा। प्रावधान करना है तो लायबिलिटी ही लिखना होगा। यही किया है महिला जज ने और समाज को आईना दिखा दिया है। अपना असली चेहरा देखकर समाज तिलमिला गया है। दहेज़ और मान प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए धन तो खर्च करना ही होगा वरना जज की क्या प्रतिष्ठा रहेगी और अच्छा रिश्ता कैसे मिलेगा। पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों की स्थिति  तो यही दर्शाता है कि लड़की दायित्व ही है, ताउम्र।

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