रविवार, अक्तूबर 03, 2010

राष्ट्रमंडल खेलों का शुभारंभ-अंतरराष्ट्रीय.मंच पर हिंदी की अनुपस्थिति

हमारे विदेश मंत्री ने अभी कुछ दिन पहले ही बयान दिया था कि हिंदी को यू.एन.ओ. में स्थान दिलाएंगे। हमारे देश में आयोजित अंतरराष्ट्रीय स्तर के आयोजन में तो हिंदी को स्थान नहीं दिला पाए। बरकत कैसे हो, नीयत ही साफ नहीं है।

1 टिप्पणी:

  1. अब हिंदी के लिए तकनीकी की आवश्यकता है। पुराने लोगों को तकनीकी से जोड़े बिना हिंदी की तरक्की नही हो सकती। इसलिए ज्यादा से ज्यादा तकनीकी का प्रयोग करके ही हिंदी का भला होगा। यह बात सही है कि हिंदी का प्रयोग इस खेल आयोजन में होता तो इसे काफी बल मिलता।

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