शुक्रवार, जनवरी 07, 2011

भारत सरकार का सरकारी कैलेंडर वर्ष-सरकारी संप्रेषणों में अनिवार्य

यह वास्तविकता है कि 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक का समय वर्ष कहलाता है और यह पूरे विश्व में एकरूप ढंग से मनाया एवं उपयोग में लाया जाता है। हर भारतीय चाहे वह कश्मीर का हो या कन्याकुमारी का, कच्छ का हो या मेघालय का इन्हीं महीनों के नाम और तारीखों के अनुसार अपना दैनिक कार्य कर रहा है। परंतु धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विक्रमी संवत् की तिथियों का अनुसरण करता है साथ ही तदनुसार ग्रेगेर्गियन कैलेंडर की तारीखों में परिवर्तित कर लेता है ताकि कैलेंडरों की अनेक रूपता के कारण भ्रम न हो जाए। हमारा पड़ोसी देश, पाकिस्तान दिवस 23 मार्च यानि चैत्र की दूसरी तारीख को, चाँद देखकर, मनाता है।
भारत सरकार का सरकारी कैलेंडर वर्ष हर साल 22 मार्च से प्रारंभ होता है जिस दिन चैत्र का पहला दिन होता है। इसे शक संवत् कहा जाता है। इस कैलेंडर की 'शुरुआत कैलेंडर सुधार समिति', जिसके अध्यक्ष थे वैज्ञानिक सांसद मेघनाथ साहा (1956), ने भारतीय दिन गणना की प्रणाली और नौवहन पंचांग के विचार से 1957 में किया था। इसलिए भारत सरकार के सभी पत्रों में भारत के राजपत्र, आकाशवाणी के प्रसारणों में, भारत सरकार द्वारा जारी कैलेंडरों में और जनता के साथ किए जाने वाले समस्त संप्रेषणों में इसका उल्लेख अनिवार्य है।
इसमें और भी ज्योतिषीय आंकड़े शामिल किए गए हैं ताकि एकरूपता रखते हुए हिंदुओं का धार्मिक कैलेंडर बनाया जा सके। परंतु इसके बावज़ूद स्थानीय विभिन्नताओं के कारण 'सौर सिद्धांत' भी प्रचलन में है। शक संवत् 22 मार्च 1957 को 1 चैत्र 1879 से प्रारंभ हुआ। दोनों में 78 साल का अंतर है। चैत्र का महीना 30/31 दिन का होता है। लीप वर्ष में 31 दिन का वरना 30 दिन का होता है। जिस साल लीप वर्ष होगा अंग्रेज़ी वर्ष की शुरुआत 21 मार्च से होगी। पहले छह महीने 31 दिन के होते हैं और बाद के छह महीने 30 दिन के। शक संवत् की शुरुआत क्रिश्चिएन संवत् के 78वें वर्ष में कुषाण राजा कनिष्क ने की थी।  
ग्रेगेर्गियन कैलेंडर और शक संवत् कैलेंडर की तुलनात्मक सारणी
 क्रमां
माह
दिन
प्रारंभ तारीख
1
   चैत्र
  30/31
मार्च 22
2
   वैशाख
  31
अप्रैल 21
3
   ज्येष्ठ
  31
मई 22
4
   आषाढ़
  31
जून 22
5
   श्रावण
  31
जुलाई 23
6
   भाद्र
  31
अगस्त 23
7
   आश्विन
  30
सितंबर 23
8
   कार्तिक
  30
अक्तूबर 23
9
   अग्रहायण
  30
नवंबर 22
10
   पौष
  30
दिसंबर 22
11
   माघ
  30
जनवरी 21
12
   फाल्गुन
  30
फरवरी 20

गुरुवार, जनवरी 06, 2011

इंटरैक्टिव आवाज़ प्रतिक्रिया प्रणाली (आईवीआर) क्या है?


इंटरैक्टिव आवाज़ प्रतिक्रिया प्रणाली (आईवीआर) आसानी से उपयोग में लाई जाने वाली शक्तिशाली कंप्यूटर प्रणाली है। इसके द्वारा फ़ोन पर दिए गए अनुदेश के आधार पर फ़ोन की बटन दबाकर जवाब दिया जाता है। आजकल कंपनियाँ कॉल सेंटरों में ऐसे कंप्यूटर प्रोग्राम लगाकर अपने ग्राहकों को ऑनलाइन जानकारी दे रही हैं या समस्याओं का समाधान कर रही हैं। इसके माध्यम से कंपनियाँ ग्राहकों की शिकायतें दर्ज़ करके आने जाने में लगने वाले समय व व्यय में बचत कर रही हैं। इंटरएक्टिव वॉयस गाइड में हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में भी रिकार्डंग की सुविधा है। फ़ोन बैंकिंग में इसी प्रणाली का उपयोग किया जा रहा है।

मंगलवार, जनवरी 04, 2011

"लाल हेरिंग सूची पत्र" यानी "रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस"


मैंने सोचा है कि अब से महीने में एक दो ऐसी अभिव्यक्तियों के बारे में आधारभूत जानकारी दूं जिससे हिंदी में काम करने में आसानी हो। इसकी पहल कंपनी जगत की पारिभाषिक शब्दावली "रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस" करना चाहता हूं।

क्या है यह रेड हेरिंग प्रॉस्कपेक्टस? इसकी हिंदी "लाल हेरिंग सूची पत्र" कहने में कोई हर्ज़ नहीं है। इसे पारिभाषिक शब्दावली के रूप में "लाल हेरिंग सूची पत्र" का उपयोग किया जा सकता है। "लाल" शब्द तो प्रचलित विशेषण शब्द है। "हेरिंग" नाम की एक मछली होती है जो झुंड में रहती है। "सूची पत्र" का मतलब जानकारी पत्रक। "रेड हेरिंग" का उपयोग "डिसऐंबीगुएसन" के अर्थ में किया जाता है। "रेड हेरिंग" अभिव्यक्ति को एक मुहावरे से लिया गया है जिसका मतलब होता है सोच का दिशा परिवर्तन।

व्यापार जगत में इसका उपयोग कंपनी अधिनियम की धारा 60 बी के अनुसार होता है। यदि कोई कंपनी सार्वजनिक निर्गम (शेयर अथवा बॉन्ड) जारी करके सीधे जनता से पूंजी उगाहना चाहती है तो उसे भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के समक्ष अपना "लाल हेरिंग सूची पत्र" प्रस्तुत करना होता है जिसमें ये बातें शामिल होती हैं – निर्गम का प्रयोजन, प्रस्तावित कीमत का सीमा-विस्तार, यदि कोई ऑप्शन करार हो तो उसका खुलासा, हामीदार का कमीशन और बट्टा, संवर्धन के खर्च, निर्गम जारी करने वाली कंपनी की निवल आय, तुलन पत्र, पिछले तीन वर्ष में कमाई की विवरणियों (यदि उपलब्ध हों), सभी अधिकारियों, निदेशकों, हामीदारों और वर्तमान में कंपनी के उन शेयरधारक जिनके पास कंपनी के 10 प्रतिशत या अधिक शेष शेयर हों, हामीदारी करार की प्रतिलिपि, निर्गम के बारे में कानूनी टिप्पणी, निर्गमकर्ता कंपनी के निगमन नियमावली की प्रितलिपि।

गुरुवार, दिसंबर 30, 2010

इसका हिंदी से संबंध नहीं है परंतु सामज से है और हिंदी समाज की वाहिका-लायबिलिटी अर्थात् ज़िम्मेदारी


सुप्रीम कोर्ट की महिला जज ने अपनी ज़िम्मेदारी को अंग्रेज़ी में लायबिलिटी क्या कह दिया कि बवाल मच गया। अंग्रेज़ी के दुष्प्रभाव का एक और उदाहरण। क्या सुप्रीम कोर्ट की महिला जज को समाज की सच्चाई व्यक्त करना ग़लत है। कानून प्रशासन ही ऐसा व्यवसाय है जिसमें समाज के हर प्रकार के व्यक्तियों से साबका पड़ता है जिसकी वजह से कानून के व्यवसाय से जुड़े वकील और जज को समाज की ज़्यादा समझ होती है। जज को मालूम है कि अपनी किसी भी लड़की की शादी में 20-25 लाख से कम नहीं खर्च करना होगा। अतः उस खर्चे का प्रावधान करना होगा। प्रावधान करना है तो लायबिलिटी ही लिखना होगा। यही किया है महिला जज ने और समाज को आईना दिखा दिया है। अपना असली चेहरा देखकर समाज तिलमिला गया है। दहेज़ और मान प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए धन तो खर्च करना ही होगा वरना जज की क्या प्रतिष्ठा रहेगी और अच्छा रिश्ता कैसे मिलेगा। पुरुष प्रधान समाज में स्त्रियों की स्थिति  तो यही दर्शाता है कि लड़की दायित्व ही है, ताउम्र।

बुधवार, दिसंबर 29, 2010

'विश्व हिंदी दिवस' मनाने की प्रथा की शुरुआत


हर वर्ष कार्यालयों में हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह सिलसिला 11 नवंबर 1953 में नागपुर में किए गए निर्णय के अनुसरण में 14 सितंबर 1954 से शुरू हुआ है और अनंत काल तक चलता रहेगा क्योंकि संविधान ने हिंदी को अंग्रेज़ी का स्थान लेने पर रोक लगा दी है और किसी भी एक राज्य को वीटो पावर दे दी है जब तक वह नहीं चाहेगा हिंदी अंग्रेज़ी का स्थान नहीं ले पाएगी। लेकिन हिंदी सेवी तो अपने कार्य में निरंतर लगे हुए हैं। इसी प्रकार नागपुर में ही 14 जनवरी 1975 को संकल्प पारित हुआ कि हर वर्ष 10 जनवरी को अंतरराष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाए। तब से हर साल विदेशों में, अपने दूतावासों में तथा अन्यत्र भी 'विश्व हिंदी दिवस'  मनाया जाता है। 37 देशों में हिंदी का प्रचलन हो चुका है और 110 विश्व विद्यालयों में हिंदी भाषा की शिक्षा दी जा रही है। परंतु हमारे देश के अनेक कार्यालयों में 'विश्व हिंदी दिवस' मनाने की प्रथा की शुरुआत अभी नहीं हुई है। इस पोस्ट द्वारा मैं सभी ब्लॉगर बंधुओं से अनुरोध करना चाहता हूं कि इस संदेश को यथा संभव प्रसारित किया जाए और आगामी 10 जनवरी को देश में तथा कार्यालयों में 'विश्व हिंदी दिवस' मनाने की प्रथा की शुरुआत हो।

क्या रुपए का नया प्रतीक क्षेत्रीयता का परिचायक है?